लगता है
सड़क
सड़क नहीं, नदी है!
जिस पर चलने वाले वाहन,
पानी का सैलाब हैं।
कहीं किसी किनारे खड़े
हम जैसे लोगों को भी
इन लहरों का हिस्सा बन कर
चाहे अनचाहे
मिल ही जाना होता है जीवन चक्र में;
हमेशा से हमेशा ही।
-यशवन्त माथुर©
14072022
बहुत ही साधारण लिखने वाला एक बहुत ही साधारण इंसान जिसने 7 वर्ष की उम्र से ही लिखना शुरू कर दिया था। वाणिज्य में स्नातक। अच्छा संगीत सुनने का शौकीन। ब्लॉगिंग में वर्ष 2010 से सक्रिय। एक अग्रणी शैक्षिक प्रकाशन में बतौर हिन्दी प्रूफ रीडर 3 वर्ष का कार्य अनुभव।
बहुत ही साधारण लिखने वाला एक बहुत ही साधारण इंसान जिसने 7 वर्ष की उम्र से ही लिखना शुरू कर दिया था। वाणिज्य में स्नातक। अच्छा संगीत सुनने का शौकीन। ब्लॉगिंग में वर्ष 2010 से सक्रिय। एक अग्रणी शैक्षिक प्रकाशन में बतौर हिन्दी प्रूफ रीडर 3 वर्ष का कार्य अनुभव।