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05 May 2024

शब्द जो लिखे न गए.....


उभरे मन में लेकिन, 
समझे न गए
शब्द जो लिखे न गए। 

अंतस खुश हो या उदास हो,
भूख हो या प्यास हो,
ख्याल सांचों में ढले न गए,
शब्द जो लिखे न गए।

अधरों तक आकर भी, 
रूह को करीब पाकर भी, 
रहे अव्यक्त ही, कहे न गए, 
शब्द जो लिखे न गए। 

काल चक्र से हार कर,
उम्र के हर पड़ाव पर,
संकोच से उबरे न गए, 
शब्द जो लिखे न गए। 

अवचेतन कारा की कैद से, 
शमशान में मुक्ति पाकर,
राख होते अंग प्रत्यंग  की तरह, 
पंच तत्व में मिलते ही गए,
शब्द जो लिखे न गए। 


-यशवन्त माथुर© 
05 मई 2024 

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4 comments:

  1. बहुत सुंदर शब्द संयोजन

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  2. सुंदर सृजन, जो लिखे नहीं गये उन शब्दों की झलक यहाँ मिल रही है

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  3. बहुत सुन्दर रचना

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