लेकिन अपना
सही पता दे।
कौन जात है तेरी
धर्म क्या
भाषा और अपना
करम बता दे।
हर कोई
अपनी तरह पूजता।
कोई सुंदर
कोई कुरूप बूझता।
मावस की रात में
कहां चांदनी
को लेकर तू जाता रे।
ऐसे तक मत
धरती को चांद!
अपना सही
पता बता रे।
✓यशवन्त माथुर©
11 जनवरी 2025
बहुत ही साधारण लिखने वाला एक बहुत ही साधारण इंसान जिसने 7 वर्ष की उम्र से ही लिखना शुरू कर दिया था। वाणिज्य में स्नातक। अच्छा संगीत सुनने का शौकीन। ब्लॉगिंग में वर्ष 2010 से सक्रिय। एक अग्रणी शैक्षिक प्रकाशन में बतौर हिन्दी प्रूफ रीडर 3 वर्ष का कार्य अनुभव।
सुन्दर
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 15 जनवरी 2025 को साझा की गयी है....... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत सुंदर सृजन।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया 👌👌
ReplyDeleteवाह चांद से बड़े मासूम से सवाल। बहुत खूब
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