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23 August 2010

जिदंगी इन्टरनेट हो गयी

पल भर में बीयर भी वाइन हो गयी
जैसे  आज कल महंगाई डायन हो गयी
दूल्हा दुल्हन की शादी भी ऑनलाइन हो गयी।

अब क्या करेगा मजनू,बस कुछ चैट-वैट हो गयी
पल भर में एक लड़की भी सैट हो गयी
जिंदगी इंटरनैट हो गयी॥

यू ट्यूब पर डाला वीडियो,दुनिया देख रही तमाशा
दर्शन हो गए मंदिर में,पंडित जी बाँट रहे बताशा

खुल्लम खुल्ला सारी दुनिया,
मुट्ठी में कैद हो गयी।

जिंदगी इंटरनैट हो गयी॥

और क्या बता दूँ तुम को
अगर हो कहीं पर जाना

लम्बी-लम्बी लाइन में,
न अब टिकट को बुक करवाना
अब तो पल भर में
ऑनलाइन पेमैंट हो गयी।

जिंदगी इंटरनैट हो गयी॥

10 comments:

  1. इंटरनेट आदतों में बदल रहा है. इसे व्यसन भी कह सकते हैं. :))

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  2. सच में आज के पलों की सटीक व्याख्या ...
    बहुत सुंदर ...

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  3. सच बोला यशवंत भाई, ज़िंदगी इंटरनेट ही हो गयी है
    सुंदर कविता

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  4. सच में भाई जी सच में सारी दुनिया खुल्लमखुल्ला मुट्ठी में कैद हो गयी है |
    सुंदर रचना !

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  5. :)लाइफ भी रेट की रेस हो गई :)
    बढ़िया कविता.

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  6. सच कहा... सुंदर अभिव्यक्ति...
    सादर बधाई...

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  7. इंसान की ज़िंदगी में इंटरनेट की हर रोज बढती जा रही घुसपैठ पर बहुत शानदार रचना लिख दी है आपने यशवंत जी ! आनंद आ गया !

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  8. बहुत बढि़या ।

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