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25 August 2011

सवाल

हर पल
हर कहीं
घर मे या
घर के बाहर
एकांत मे
या किसी के साथ
किसी भीड़ मे
कहीं आते हुए
कहीं को जाते हुए
किसी से बात करते हुए
खुद को समझाते हुए
कुछ लिखते हुए
कुछ पढ़ते हुए
कुछ न कुछ करते हुए 
जेहन मे उठते हैं
अनेकों सवाल
न जाने क्यों?

30 comments:

  1. बहुत ही सुन्दर सवाल ....

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  2. सवाल सवाल सवाल ... ये सवाल ही तो हैं जो जीने नहीं देते ... अच्छी रचना है ...

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  3. ये जाने क्यों? का ही जवाब सभी तलाश रहे है... सुन्दर अभिवयक्ति....

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  4. ये जवाब ना जाने कब मिलेंगें ?????

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  5. सार्थक लेखन के साथ विचारणीय प्रश्न- भी ..

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  6. sawalo se ghri jindgi.... sundar rachna...

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  7. सुन्दर और बेहतरीन कविता

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  8. ज़िंदगी खुद एक सवाल है..बहुत सुन्दर प्रस्तुति..

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  9. दुनियां करे सवाल तो हम क्या जवाब दे ? मगर अपने सवाल का जवाब दुनिया जरूर देगी पूछिए तो , शुभकामनाये

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  10. ये प्रश्न भी बहुत खूब है .बधाई
    BHARTIY NARI

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  11. we have questions at every corners of our lives :)
    ur lines depict the same beautifully
    Nice read !!

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  12. यथार्थ को कहती अच्छी अभिव्यक्ति

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  13. सुन्दर अभिव्यक्ति.....

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  14. कल शनिवार २७-०८-११ को आपकी किसी पोस्ट की चर्चा नयी-पुराणी हलचल पर है ...कृपया अवश्य पधारें और अपने सुझाव भी दें |आभार.

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  15. ये सुन्दर सवाल सच में लाजवाब है..

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  16. जिस दिन सारे सवाल गिर जाते हैं भीतर बुद्धत्व का जन्म होता है उससे पहले यही तो एकमात्र पूंजी हैं...

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  17. बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ।

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  18. बहुत ही सुन्दरता से गहरे यतार्थ को शब्द दिए हैं ..........शानदार|

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  19. इन्ही सवालों का जवाब ढूंढते ही जीवन बीत जाता है |

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  20. अरे वाह अंकल! ऐसा तो मेरे साथ भी रोज़ होता है....

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  21. ये सवाल और इनके उत्तर की तलाश ही तो जीवन है ..... शुभकामनायें !

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  22. bahut hi achchhi rachna ,janm -mritiyu hi sawal hai ,baki ki kya kahe ,ek gana yaad aa raha hai -duniya banane wale kahe ko duniya banai ,yahan to srishti ki sanranchna par hi sawal uth gaye .

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  23. aapke blog par aana achchha laga ,dhun bahut pyari hai lag raha tha sunti rahoon .

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  24. बहुत खूब..सुन्दर रचना, प्रभावशाली पंक्तियाँ।

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  25. यशवंत भाई विगत महीनों से आप की प्रस्तुतियों से आभास हो रहा है कि आपका कविमन किसी गंतव्य को पाने को अत्यधिक आतुर है। प्रश्नों का यह क्रम उसी संभावित गंतव्य की तरफ बढ़ता लक्षित हो रहा है।

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  26. inhi swalon ke jwab dhudhne me hi to jindagi beet jati hai...

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  27. सुन्दर अभिव्यक्ति के लिये बधाई स्वीकारें।

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  28. आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद!

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  29. खुबसूरत रचना,सादर .

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