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27 October 2012

दर्द

(दर्द की वजह से सूजा हुआ गाल
जिसने यह पंक्तियाँ लिखने को प्रेरित किया)
 
बदलते मौसम का असर
लापरवाही में
दे देता है
नजला,जुकाम,बुखार
बदन दर्द
और इस बहाने
मिल जाते हैं 
दो पल
कुछ सोचने को  ।
दवा के असर के साथ
इन्टरनेट की अंधेरी
गुमनाम गलियों में
फेसबुक और ब्लॉग पर
रची तमाम पहेलियों में
कभी कभी नज़र आता है
बेहिसाब दर्द
जो कभी
खुद के ज़ख़्मों को
कुरेदने से उठता है
और कभी
जहर बुझे
शब्द तीरों की
तीखी चुभन से।
'लाइक' और 'कमेन्ट' की दवा 
'शेयर' का संक्रमण
और बढ़ाती ही है
पर दर्द
पूरी तरह जज़्ब नहीं होता
सिर्फ सोता है
कुछ पल की नींद में
अपना असर
फिर दिखाने के लिये। 
 

©यशवन्त माथुर©

25 comments:

  1. Take care :)

    जल्द स्वस्थ्य हो जाएँ

    शुभकामनायें

    ReplyDelete
  2. सुन्दर पंक्तियाँ

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  3. वाकई.... बहुत दर्द भरी रचना है... ईश्वर आपको इस दर्द से शीघ्र ही छुटकारा दिलवाएँ..

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  4. शुभकामनयें भाई यशवंत ।

    मेरा गला भी फूला हुआ है-

    आप जल्दी स्वस्थ हों ।।



    चौवालिस सौ हिट मिली, एक माह में मित्र ।

    गाल फुला के बैठते, हालत बड़ी विचित्र ।

    हालत बड़ी विचित्र, मित्र यशवंत बताएं ।

    शुभकामना सँदेश, जन्म दिन में भिजवायें ।

    वर्षगाँठ हर विविध, पलक पाँवड़े विछा के ।

    नहीं कहें आभार, कभी भी सज्जन आके ।।

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  5. जिंदगी से जूझती जीवंत कहानी

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  6. उत्कृष्ट प्रस्तुति का लिंक लिंक-लिक्खाड़ पर है ।।

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  7. उत्कृष्ट प्रस्तुति रविवार के चर्चा मंच पर ।।

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  8. दिल को छूती पंक्तियाँ...बधाई!

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  9. ये दर्द तो समय विशेष की देन है.. समय के साथ ही इससे निजात भी मिल जाएगी पर इस तकलीफ से उपजी ये उत्कृष्ट रचना आपको हमेशा ही सुकून देगी..... शीघ्र स्वास्थ्य-लाभ की शुभकामना के साथ...

    ReplyDelete
  10. ये दर्द तो समय विशेष की देन है... समय के साथ ही इससे निजात भी मिल जाएगी लेकिन इस तकलीफ से उपजी ये उत्कृष्ट रचना हमेशा ही आपको सुकून देगी... शीघ्र स्वास्थ्य-लाभ की शुभकामना के साथ....

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  11. सुन्दर प्रस्तुति!
    ईद-उल-जुहा के अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएँ|

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  12. गज़ब का विश्लेषण किया है

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  13. बदलते मौसम का असर सब तरफ है..लापरवाही टीक नही...ध्यान रखना..

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  14. दर्द ने दर्द को शब्द दे दिए...
    भावपूर्ण रचना...
    जल्दी से गालों का दर्द भी ठीक हो...
    शुभकामनाएँ...
    :-)

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  15. ये दर्द पूरी तरह जज़्ब कहाँ होता है
    गीतों, गजलों, नज्मों में बयां होता है...
    सुन्दर रचना... शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की शुभकामनायें...

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  16. कोमल भावों से भरी रचना....
    इस दर्द को दूर भगाओ भई...

    सस्नेह
    अनु

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  17. सुन्दर रचना यशवंत जी,
    बधाई !

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  18. बदलते वक़्त का ऐसा उपहार जो जिस से हर कोई किनारा करना चाहे. चलिए एक अच्छी रचना तो बन पायी उस वजह से सिर्फ वही एक बात है जिसे थोडा सा संतोष मिले. आप शीघ्र स्वस्थ हों ये कामना है.

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  19. इस रचना में एक नहीं ...कई दर्द उजागर हुए हैं......इश्वर हर पीड़ा से आपको निजात दे

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  20. ई मेल से प्राप्त टिप्पणी

    indira mukhopadhyay


    वाह इसे कहते हैं सकारात्मकता , दर्द और तकलीफ से फाई सुन्दर कविता निकल आई। आपके जल्दी अच्छे होने की दुआ सहित . आंटी।

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  21. "दर्द" का बढ़िया वर्णन .....

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  22. सही कहा ! ऐसे में समय काटना मुश्किल होता है... मगर इस हालत में भी कितनी सुंदर रचना कर दी आपने यशवंत !
    GET WELL SOON !
    ~God Bless !!!

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