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07 July 2013

कविता और कवि ...

'जहां न पहुंचे रवि
वहाँ पहुंचे कवि '
जो कह न सके कभी
वही कह देता अभी

कविता और कवि ......।

न ज्ञान व्याकरण का
न भाषा का, शुद्धता का
हर कोई है 'बच्चन','पंत'
महा भक्त 'निराला' का

न कॉमा, विराम कभी
न छंद,अलंकार कभी
उसके कुतर्क ही सही
'दिनकर' वही, 'कबीर','सूर' वही

हर गली दिखता वही
अभी यहाँ,फिर वहाँ कभी
कुकुरमुत्ते की सी छवि
डूबती कविता,उतराता कवि

खुद के लिखे को कभी
किताब बना छपवाता कवि
कीमत डेढ़ सौ,मुफ्त बाँट पाँच सौ
मुस्कुराता- इतराता कवि

कविता और कवि.....। 


 ~यशवन्त माथुर©

18 comments:

  1. सच्चाई सौ प्रतिशत.

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  2. बहुत सटीक प्रस्तुति...

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  3. आधुनिक कवियों पर सुन्दर व्यंग्य

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  4. बिल्कुल सही कहा.... अच्छी रचना ...

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  5. बहुत सुंदर ,
    बिलकुल सही कहा , साहित्य को पढ़े बिना, कभी भी अच्छा नही लिखा जा सकता ,आभार


    यहाँ भी पधारे
    http://shoryamalik.blogspot.in/2013/07/blog-post_5.html

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  6. सार्थक रचना .आभार

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  7. .बहुत सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति . आभार क्या ये जनता भोली कही जाएगी ? #
    आप भी जानें संपत्ति का अधिकार -5.नारी ब्लोगर्स के लिए एक नयी शुरुआत आप भी जुड़ें WOMAN ABOUT MAN हर दौर पर उम्र में कैसर हैं मर्द सारे ,

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  8. ज़बरदस्त कटाक्ष साथ ही साथ कटु यथार्थ !

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  9. बिल्कुल ठीक कहा यशवंत..कवि हमेशा बेचारा ही होता है..

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  10. सच्चाई को बतलाती रचना बहुत सुन्दर

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  11. सत्य से रूबरू ....

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