सब चाहते हैं सबकी नाव
आकर लगे किनारे पर
सब चाहते हैं अबकी बार
हों खड़े बिना किसी सहारे पर
सब चाहते हैं पाते जाना
सागर की गहराइयों को
सब चाहते हैं छूते जाना
आसमान की ऊंचाइयों को
सब चाहते हैं चलते जाना
फिर भी थक कर बैठ जाते हैं
सब चाहते हैं कछुआ बनना
खरगोश बन कर सो जाते हैं
सब चाहते हैं पूरे सपने
सब चाहते हैं सब हों अपने
सब चाहते हैं सब कुछ पा कर
कुछ कभी न खो पाना
सब चाहते हैं ऐसे ही
जीवन धारा का चलता जाना
सब चाहते हैं पास आते ही
दूर किनारे से हट जाना
सब चाहते हैं सबकी नाव
तैरती रहे जल धारा पर
सब चाहते हैं कभी न डूबे
किसी पत्थर से टकरा कर।
~यशवन्त माथुर©
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बहुत बढ़िया है भाई यशवंत-
ReplyDeleteजुग जुग जियो-
चाहत राहत दे नहीं, करना पड़े प्रयास |
बिन प्रयास के क्या कभी, पूरे चाहत-ख़ास ||
लेकिन होता वही है जो राम रचि राखा
ReplyDeleteसबका मन चाहा कहाँ होता है
ReplyDeleteआपका मन चाहा पूरा हो
हार्दिक शुभकामनायें
सब चाहते है ऐसे ही जीवन धारा का चलती जाना ......बहुत सुंदर एहसास और सुंदर अभिव्यक्ति !!
ReplyDelete्सब तो यही चाहते हैं ..काश ऐसा ही हो..
ReplyDeleteपढ़ कर मुंह से वाह वाह ही निकलता हैं
ReplyDeleteसच में बेहद सार्थक रचना है।
बहुत अच्छी लगी
sab ki sabhi chahte puri kahan hoti hai....
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना, शुभकामनाये
ReplyDeleteवाकई सब यही चाहते हैं ......सरल प्रवाह
ReplyDeleteबहुत बढ़िया. हमारा अचेतन मन बना ही ऐसा है. खरीदारियाँ करता है और आशाएँ पालता जाता है.
ReplyDeletejeevan ka saransh....bahut achha
ReplyDeleteshubhkamnayen
जीवन में उभरती कामनाओं का खुबसूरत लेखा जोखा
ReplyDeleteसब चाहते हैं सब शुभ हो..पर ऐसा होता कहाँ है..होगा तब जब शुभता से ही प्रीत हो जाये...
ReplyDeleteचाहत के साथ पराया बी ऐसा हो तो कितना अच्छा हो जाए ...
ReplyDeleteजो चाहते हैं वह कब हो पाता है...बहुत सुन्दर और सटीक अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteख्वाहिशों का समग्र संकलन. बहुत बढ़िया.
ReplyDeleteचाहत तो सभी यही होती है ..... सुंदर पंक्तियाँ
ReplyDeleteसब कुछ मिल जाये जीवन में यह तो सभी की चाहत है..
ReplyDeleteबहुत ही बेहतरीन रचना...
:-)
सुन्दर पंक्तियाँ यशवंत भाई। वाकई चाहत तो सभी की ऐसी ही है, बस जो प्रेरित हो आगे बढे, उसकी जय है.
ReplyDeleteसादर
मधुरेश
चाहतें तो अंतहीन हैं ही...
ReplyDeleteपूरी हों तो भी, न हो पाए तो भी!