अब जब
तुम आ ही गए हो
तो तुम्हारा स्वागत है
वैसे ही
जैसे
हर आगत का होता है
भारतीय परिवेश मे
पर मेरे पास
तुम्हारे लिये
आरती का थाल नहीं
न ही तिलक है
बस दो जुड़े हुए हाथ हैं
और माथे पर
तुम से अपेक्षाओं की
अनगिनत लकीरें
अपेक्षाएँ
जो होना स्वाभाविक है
ठीक वैसे ही
जैसे बच्चे
ताकते हैं
घर आए मेहमान के
सूट केस को
या पोटली को
कि शायद कुछ
आया हो लेकर
उनके मतलब का
बस उसी तरह
मैं भी
ताक रहा हूँ तुम्हें
कि
365 दिनों की
इस नयी पोटली मे
छुपा कर
क्या कुछ लाए हो
मेरे लिये
बता दो न
...प्लीज़ :)
~यशवन्त माथुर©
हर एक दिन खिलेगा नए उत्साह के साथ...
ReplyDeleteयही बताये आगत वर्ष आपको!
शुभकामनाएं!
हो जग का कल्याण, पूर्ण हो जन-गण आसा |
ReplyDeleteहों हर्षित तन-प्राण, वर्ष हो अच्छा-खासा ||
शुभकामनायें--
khoobsoorat panktiyaa nav varsh ki badhai
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना ..... नए साल के लिए बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएँ ....!!
ReplyDeleteबहुय कुछ दे जाएगा नया वर्ष,,,, नववर्ष की शुभकामनाए।
ReplyDeleteअभी से नहीं बतायेगा...सरप्राइज भी तो आखिर कुछ चीज है न..
ReplyDeleteexpectations r unlimited, days r limited and efforts r no lesser thn stars in the sky ..
ReplyDeleteनव वर्ष शुभ और मंगलमय हो !
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना शनिवार 04/01/2014 को लिंक की जाएगी...............
ReplyDeletehttp://nayi-purani-halchal.blogspot.in
कृपया पधारें ....धन्यवाद!
खुबसूरत अभिवयक्ति.....
ReplyDeleteso nice as i expected beautiful
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ReplyDeleteबड़े ही अनूठे ढंग से गुज़ारिश की है आपने, अब नव-वर्ष को तो आपपे प्रसन्न होना ही होगा। . :) :)