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01 October 2015

कुछ लोग-28

स्वनाम धन्य
कुछ लोग
जो कहने को
पत्रकार
कलाकार
और न जाने
क्या क्या होते हैं
देश दुनिया की
तमाम समझ होने पर भी
कभी कभी
अपनी टिप्पणियों से
ना समझ लगते हैं।
उनके पास
उनके स्वाभाविक
पूर्वाग्रहों का
असीमित भंडार
रोकने लगता है
सही तरह
सोचने से
और वह
सिर वही लिखते
और कहते हैं
जो देश -समाज
भविष्य के हित से परे
सिर्फ उनके
अपने अहं को
संतुष्ट करता है
सिर्फ उनके
अपने चित्त को
तुष्ट करता है।
हर जगह
अपने कुतर्कों को
तर्क साबित करने में
ऐसे कुछ लोग
बिता देते हैं
वह अनमोल वक़्त
जो
खो चुका होता है
अपनी सार्थकता
सिर्फ
उनकी वजह से। 

~यशवन्त यश©

4 comments:

  1. हाँ... ऐसे लोगो के मन से हटा कर देना ही श्रेयस्कर है.

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  2. आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (02.10.2015) को "दूसरों की खुशी में खुश होना "(चर्चा अंक-2116) पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, चर्चा मंच पर आपका स्वागत है।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ, सादर...!

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  3. उम्दा रचना

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  4. सुन्दर शब्द रचना

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