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30 September 2020

अब नहीं निकलेंगे.....

अब नहीं निकलेंगे लोग 
मोमबत्तियाँ लेकर सड़कों पर 
नहीं निकलेंगे जुलूस 
#JusticeforManisha
और पैदल मार्च 
नहीं देंगे श्रद्धांजलि 
गगन भेदी नारों से 
नहीं करेंगे 
दिन-रात टेलीविज़न पर 
न्याय की माँग 
नहीं चमकाएंगे 
कैमरों के आगे अपने चेहरे 
नहीं करेंगे धरने और प्रदर्शन 
क्योंकि सत्यकथा पढ़ने के अभ्यस्त 
कई टुकड़ों में बँटे हुए 
हम संवेदनहीन लोग 
अभी व्यस्त हैं 
चरस-गाँजा, हत्या और आत्महत्या की 
गुत्थियाँ सुलझाने में। 

हम 
अपनी विचारशून्यता के साथ  
दिन के भ्रम में 
उतराते जा रहे हैं 
काली घनी रात के बहुत भीतर 
इतने भीतर 
कि जहाँ से बाहर 
अगर कभी निकल भी पाए 
तो भी लगा रहेगा 
एक बड़ा प्रश्नचिह्न 
हमारे बदलाव 
और हमारी विश्वसनीयता पर 
वर्तमान की तरह। 

-यशवन्त माथुर ©
30092020 

10 comments:

  1. अभी व्यस्त हैं
    चरस-गाँजा, हत्या और आत्महत्या की
    गुत्थियाँ सुलझाने में।
    सही कहा आपने बस एक ही खबर के पीछे पूरा समय ऐसे निकाल रहे हैं जैसे इसके सिवा देश में कुछ हो ही नहीं रहा...।
    बहुत ही सुन्दर समसामयिक सृजन।

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  2. बिलकुल सही कहा यशवंत जी आपने ।

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  3. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 01.10.2020 को चर्चा मंच पर दिया जाएगा। आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी|
    धन्यवाद
    दिलबागसिंह विर्क

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  4. बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण और दुखद घटना।

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  5. एकदम सही कहा आपने । मानव कितना संवेदनहीन हो गया है । नारे भी लगाए थे,मोमबत्तियां भी जलाई थे ,पर नतीजा ...शून्य । ये सिलसिला तो यूँ ही चल रहा है ।

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  6. बेहद अफसोसजनक, सही कहा है आपने, मीडिया इन दिनों अपनी भूमिका निभाने में असफल सिद्ध हो रहा है

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  7. वर्तमान दुरावस्था पर मार्मिक कविता...

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  8. यथार्थ को दर्शाता सुंदर सृजन ,सादर नमन आपको

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  9. सटीक प्रस्तुति.

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