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14 November 2020

पटाखे तो चलाएंगे

बारूद की गंध से आसमान को
आज खूब महकाएंगे
डरे या सहमे चाहे कोई भी
पटाखे तो चलाएंगे।

ऐसी तैसी पर्यावरण की 
धुंध की चादर बिछाएंगे
सांस न ले भले कोई भी
पटाखे तो चलाएंगे।

धूम धड़ाम हो गली मोहल्ला
हल्ला खूब मचाएंगे
रोगी कोई हो घर में लेटा
पटाखे तो चलाएंगे।

करें कोई भी काम ढंग का
तो प्रगतिशील कहलाएंगे
कुतर्की होने का सुख कैसे
फिर ऐसे  ले पाएंगे?

जिसको जो कहना हो कह ले 
पटाखे तो चलाएंगे।


-यशवन्त माथुर ©

7 comments:

  1. अपना और औरों का नुकसान भी कर जायेंगे
    पटाखे ....

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  2. सटीक व्यंग ...
    संवेदनहीन होता जा रहा है समाज...साँस लेना दूभर हो गया है फिर भी पटाखे तो चलाने ही हैं और प्रदूषण का ठीकरा सरकार के सर फोड़ना है
    दीपोत्सव की अनंत शुभकामनाएं।

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  3. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज सोमवार (१६-११-२०२०) को 'शुभ हो दीप पर्व उमंगों के सपने बने रहें भ्रम में ही सही'(चर्चा अंक- ३८८७) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    --
    अनीता सैनी

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  4. जिसको जो कहना हो कह ले,
    मोटी खाल हमारी ,क्योंकर मान जाएँगे!

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  5. सुन्दर प्रस्तुति

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  6. कटाक्ष करती बेहतरीन रचना...

    दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏

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