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17 July 2022

सड़क



लगता है
सड़क
सड़क नहीं, नदी है! 
जिस पर चलने वाले वाहन, 
पानी का सैलाब हैं। 
कहीं किसी किनारे खड़े 
हम जैसे लोगों को भी 
इन लहरों का हिस्सा बन कर 
चाहे अनचाहे 
मिल ही जाना होता है जीवन चक्र में;
हमेशा से हमेशा ही।

-यशवन्त माथुर©
14072022 

6 comments:

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार(१८-०७ -२०२२ ) को 'सावन की है छटा निराली'(चर्चा अंक -४४९४) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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  2. वाह! अच्छी अभिव्यक्ति

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  3. सड़क की नदी से तुलना!
    अच्छा है!--ब्रजेन्द्र नाथ

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  4. कहीं किसी किनारे खड़े
    हम जैसे लोगों को भी
    इन लहरों का हिस्सा बन कर
    चाहे अनचाहे
    मिल ही जाना होता है जीवन चक्र में;
    अप्रतिम सृजन।

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  5. आपकी इस बात को मैंने आपके यूट्यूब चैनल पर भी देखा और सुना यशवंत जी। ठीक ही कहा है आपने। ज़िन्दगी की सच्चाई तो यही है।

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