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30 April 2023

बेटियाँ तो वो भी हैं ....

वो 
जो जहाजों में उड़ती हैं 
जंगों में भिड़ती हैं 
साहस के 
कीर्तिमान बनाकर 
हर मैदान को जीतती हैं ...
आज बैठी हैं 
पालथी मारकर 
अवशेष 
लोकतंत्र की देहरी पर, 
सिर्फ 
इस उम्मीद में 
कि 
हममें से कोई 
अगर जाग रहा हो ....
अपने कर्मों से 
अगर न भाग रहा हो ..
तो ऋचाओं , सूक्तों और श्लोकों 
की परिधि से बाहर निकल कर 
सिर्फ इतना मान ले 
और मन में ठान ले -
वो बेटियाँ किसी और की नहीं 
दंगलों की मिट्टी के हर कण की हैं 
देश के गौरवशाली हर क्षण की हैं 
लेकिन दुर्भाग्य! 
आँख पर काली  पट्टी बांधे 
हम 
नए भारत के लोग 
ले चुके हैं शपथ 
सिर्फ 
अन्याय के साथ की। 

-यशवन्त माथुर©
30042023

2 comments:

  1. ठीक कह रहे हैं आप यशवंत जी। शायद यही वो नया भारत है जिसका लगातार शोर मचाया जा रहा है। देश की बेटियों को आशीर्वाद और दुआएं। वतन का नाम रौशन करने का क्या ख़ूब सिला मिला है उन्हें ! लानत है गांधी जी के तीन बंदरों की तरह आँख-कान-मुँह पर पट्टी बाँधे बैठे इस वतन के लोगों पर जिनकी आँखों में पानी आना बंद हो गया लगता है।

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  2. आप ठीक कह रहे हैं

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