शवों को गंगा जल से नहलाते हैं ,
और चिताओं पर देसी घी बरसते हैं लोग
मौत के लंगर को भी स्वाद ले ले कर खाते हैं लोग,
ये न सोचा की जीते जी 'उसे' क्या मिला क्या नहीं,
मैं पूछता हूँ पर वो बताना नहीं चाहते ,
ये मौत का जश्न है या ऐसे ही शोक मानते हैं लोग.
बहुत ही साधारण लिखने वाला एक बहुत ही साधारण इंसान जिसने 7 वर्ष की उम्र से ही लिखना शुरू कर दिया था। वाणिज्य में स्नातक। अच्छा संगीत सुनने का शौकीन। ब्लॉगिंग में वर्ष 2010 से सक्रिय। एक अग्रणी शैक्षिक प्रकाशन में बतौर हिन्दी प्रूफ रीडर 3 वर्ष का कार्य अनुभव।
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