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14 September 2011

वो रो रही है

वो*  रो रही है 
इसलिए नहीं कि
वक़्त के ज़ख़्मों से
आहत हो चुकी है
इसलिए नहीं कि
लग रहा है प्रश्न चिह्न
उसके अस्तित्व पर
इसलिए नहीं कि
अपमान के कड़वे घूंट
उसे रोज़ पीने पड़ते हैं
इसलिए नहीं
कि वो घुट रही है
मन ही मन मे

वो रो रही है
इसलिए कि उसके अपने
खो चुके हैं ;खो रहे हैं
अपनापन
वो रो रही है
इसलिए कि उसकी सौतन**
पा रही है प्यार
उससे ज़्यादा

उसे शिकवा नहीं
किसी अपने से
उसे गिला नहीं
किसी पराये से
पर फिर भी वो रो रही है
रोती जा रही है
बदलती सोच पर
जो छीन ले रही है
उससे उसके अपनों का साथ
काश! कोई उसको
उसके मन को
समझने की कोशिश तो करता
वो तलाश मे है
किसी अपने की
जो उससे कहता
तुम मेरी हो
हमेशा के लिए।
----------------

आशय -
*हिन्दी
**अंग्रेजी
----------

31 comments:

  1. बेहतरीन रचना .... नए बिम्ब को आधार बना भाषा की स्थिति पर सटीक प्रस्तुति.....

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  2. सुभानाल्लाह.......क्या बिम्ब इस्तेमाल किये हैं ........बहुत खूब ..........सुन्दर और शानदार लगी पोस्ट|

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  3. हिन्‍दी दिवस की शुभकामनाओं के साथ ...
    इसकी प्रगति पथ के लिये रचनाओं का जन्‍म होता रहे ...

    आभार ।

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  4. खूबसूरत बिम्ब से हिंदी के दर्द को बयाँ किया है ..सुन्दर अभिव्यक्ति

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  5. हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनायें !बहुत अच्छी प्रस्तुति है हिंदी भाषा तो लुप्त ही हो जायेगी यदि एसा ही हाल रहा तो !

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  6. हिंदी दिवस पर सही व्यंंग लिखा है ... देश की हालात ऐसी ही है आजकल ...
    आपको हिंदी दिवस की शुभकामनाएं ...

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  7. आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल कल 15 -09 - 2011 को यहाँ भी है

    ...नयी पुरानी हलचल में ... आईनों के शहर का वो शख्स था

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  8. सिन्दर रचना!
    --
    निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।
    बिन निज भाषा ज्ञान के, मिटत न हिय को शूल।।
    --
    हिन्दी दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!

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  9. हिंदी है हम वतन हैं, हिंदोस्तां हमारा..
    बहुत बढिया
    क्या कहने

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  10. बेहतरीन रचना.......यशवंत भाई
    हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
    जय हिंद जय हिंदी राष्ट्र भाषा

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  11. बहुत अच्छा लिखा है .... शुभकामनायें !

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  12. बहुत सुन्दरता से हिन्दी भाषा के दर्द को उजागर किया.. सुन्दर... शुभकामनायें !

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  13. बहुत ही प्रभावशाली रचना....

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  14. हिन्दी की दशा पर कटाक्ष करती शानदार रचना...

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  15. हिंदी दिवस की ढेर सारी शुभकामनाएँ... आज हिंदी भाषा की स्थिति सचमुच ऐसी ही है... बहुत अच्छी रचना...

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  16. सही ,सटीक और सार्थक रचना ..

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  17. हिन्दी की आज की स्थिति पर शानदार प्रस्तुति | सुन्दर रचना |
    मेरे ब्लॉग में भी पधारें-
    **मेरी कविता**हिन्दी की आज की स्थिति पर शानदार प्रस्तुति | सुन्दर रचना |
    मेरे ब्लॉग में भी पधारें-
    **मेरी कविता**

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  18. हिंदी कि वर्तमान दशा .... उपजी पीड़ा ..का मानवीकरण अति भावपूर्ण कब्यांजलि एवं प्रेरणादायी सन्देश युक्त आह्वाहन ..शुभकामनायें यशवंत जी ...सादर अभिनन्दन !!!

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  19. हे प्रभु पहले लगा कि कोई सचमुच रो रही है। क्या खूबसूरती से आपने बताया की हिंदी की क्या दुर्दशा हो रही है। सही है चाहे जिसको चाहो माँ कहो पर अपनी माँ को तो आँटी मत कहो।...:)

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  20. वाह क्या बात है यशवंतजी कितनी गहरी बात कह दी आपने /सच अपनों का साथ और अपनों की बहुत जरुरत होती है सबको/ हमारी हिंदी भाषा को भी अपनों ने ही छोड़ दिया /बहुत बधाई आपको इतनी अनोखी रचना के लिए /मेरे ब्लॉग पर आने का शुक्रियां /आशा है आगे भी आपका आशीर्वाद मेरी रचनाओं को मिलता रहेगा /

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  21. प्रभावशाली प्रस्तुति

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  22. ham sab uske apne hain jo use apne apnepan se sarabor kiye rahenge.

    sunder bimbo se saji khoobsurat rachna.

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  23. एकदम से चौंका ही दिया.कुछ और ही भाव पैदा हो रहे थे ,आशय पढ़ कर दृश्य ही बदल गये.कलम का जादुई चमत्कार .
    जब तक हम जैसे लोग इस दुनियाँ में हैं उसे रोने नहीं देंगे.

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  24. beautifully written... I really love the way of ur expression !!!

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  25. यहाँ आने का वक्त आज मिला...रोते हुए उसे देखा आपने लेकिन मैंने उसे रोते रोते हँसते भी देखा जब विदेशी लोग दीवानगी की हद तक उसे मुहब्बत करते हैं तो वह रोते रोते हँस पड़ती है...

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  26. आप सभी का तहे दिल से धन्यवाद!

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  27. दिवस विशेष पर बेहतरीन रचना...

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