वो जो सामने की
झोपड्पट्टी के बाहर
जलते दीयों की
रोशनी दिखाई दे रही है
उसके भीतर घना अंधेरा है
और उस अंधेरे मे
कोई जल रहा है
और वहाँ
उस झोपड्पट्टी के आखिरी छोर पर
दूधिया रोशनी मे नहाए
रईसों के आलीशान महल
जो बाहर से दमक रहे हैं
उनके भीतर भी
घना अंधेरा है
और उस अंधेरे मे
कोई कुरेद रहा है
अतीत के ज़ख़्मों को
काले आसमान को चीरती
ये मावस की उजली रात
रह रह कर गूँजती है
आतिशबाज़ी से
पड़वा की पौ फटने तक
इस क्षणिक उजियारे मे
मीलों दूर तक घना अंधेरा है
जिसमे तन्हा हो कर
कोई तलाश रहा है
अपने अस्तित्व को
घना अंधेरा है हर तरफ
हर तरफ जद्दोजहद है
इस सुरंग से बाहर निकलने की
एक लंबी राह सामने है
कदमों मे कंपन है
किन्तु गति नहीं
लग रहा है
ये छद्म सवेरा तो नहीं ?
या ये घना अंधेरा ही है ?
छंटने के इंतज़ार मे
जो तड़फड़ा रहा है
'तमसो मा ज्योतिर्गमय'
के गूँजते आलाप में
खुद की मुक्ति को!
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दीपावली आप सभी पाठकों को सपरिवार मंगलमय हो!
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झोपड्पट्टी के बाहर
जलते दीयों की
रोशनी दिखाई दे रही है
उसके भीतर घना अंधेरा है
और उस अंधेरे मे
कोई जल रहा है
और वहाँ
उस झोपड्पट्टी के आखिरी छोर पर
दूधिया रोशनी मे नहाए
रईसों के आलीशान महल
जो बाहर से दमक रहे हैं
उनके भीतर भी
घना अंधेरा है
और उस अंधेरे मे
कोई कुरेद रहा है
अतीत के ज़ख़्मों को
काले आसमान को चीरती
ये मावस की उजली रात
रह रह कर गूँजती है
आतिशबाज़ी से
पड़वा की पौ फटने तक
इस क्षणिक उजियारे मे
मीलों दूर तक घना अंधेरा है
जिसमे तन्हा हो कर
कोई तलाश रहा है
अपने अस्तित्व को
घना अंधेरा है हर तरफ
हर तरफ जद्दोजहद है
इस सुरंग से बाहर निकलने की
एक लंबी राह सामने है
कदमों मे कंपन है
किन्तु गति नहीं
लग रहा है
ये छद्म सवेरा तो नहीं ?
या ये घना अंधेरा ही है ?
छंटने के इंतज़ार मे
जो तड़फड़ा रहा है
'तमसो मा ज्योतिर्गमय'
के गूँजते आलाप में
खुद की मुक्ति को!
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दीपावली आप सभी पाठकों को सपरिवार मंगलमय हो!
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आपको, आपके मित्रों और परिजनों को भी दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें!
ReplyDeleteचर्चा मंच परिवार की ओर से दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ!
ReplyDeleteआइए आप भी हमारे साथ आज के चर्चा मंच पर दीपावली मनाइए!
चर्चा मंच परिवार की ओर से दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ!
ReplyDeleteआइए आप भी हमारे साथ आज के चर्चा मंच पर दीपावली मनाइए!
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाये.....
ReplyDeleteमेरी और से भी बधाहिया स्वीकार कीजिये
सुन्दर प्रस्तुति |
ReplyDeleteदिवाली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ|
ज्योति पर्व की बहुत -२ बधाईयाँ , सुन्दरसृजन को , सम्मान ....मंगलमय हो दीपावली ../
ReplyDeleteएक लंबी राह सामने है
ReplyDeleteकदमों मे कंपन है
किन्तु गति नहीं
बहुत सुंदर
दीपावली की ढेर सारी शुभकामनाएं
सुंदर ..सार्थक रचना ..दीपावली की ढेरों शुभकामनाएं.....
ReplyDeleteमनोरम भावान्वेषण उत्कृष्ट रचना
ReplyDeleteआपको और आपके परिवार को दीपावली की मंगल शुभकामनाएँ
सुन्दर प्रस्तुति...दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं....
ReplyDeleteबहुत सुंदर लिखा है ..सार्थक रचना ..दिवाली पर्व की आप को भी हार्दिक शुभकामनाएँ|
ReplyDeleteइस दिवाली - के शुभ
ReplyDeleteअवसर पर -आप को सपरिवार --
दीपावली की ढेरो शुभकामनाएं !
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाये
ReplyDeleteआपको दीपावली की ढेरों मंगल-कामनाएं । सुन्दर कविता के लिय बधाई
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति…………दीप मोहब्बत का जलाओ तो कोई बात बने
ReplyDeleteनफ़रतों को दिल से मिटाओ तो कोई बात बने
हर चेहरे पर तबस्सुम खिलाओ तो कोई बात बने
हर पेट मे अनाज पहुँचाओ तो कोई बात बने
भ्रष्टाचार आतंक से आज़ाद कराओ तो कोई बात बने
प्रेम सौहार्द भरा हिन्दुस्तान फिर से बनाओ तो कोई बात बने
इस दीवाली प्रीत के दीप जलाओ तो कोई बात बने
आपको और आपके परिवार को दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनायें।
बेहतरीन काव्य दीपावली की शुभकामनायें
ReplyDeleteअन्धकार और प्रकाश का खेल चल रहा है सदा से...
ReplyDeleteप्रकाश का न होना ही अन्धकार है!
शुभ दीपावली!
सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteआपको तथा आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ
Kya pata,baahar ka deep hi kabhi antas ko prajwalit kar de! Rasari aavat-jaat te....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर..........बहुत गहराई है पोस्ट में........मर्म को छूती शानदार पोस्ट|
ReplyDeleteसुंदर भावाभिव्यक्ति ..
ReplyDelete.. आपको दीपपर्व की शुभकामनाएं !!
सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteदिवाली, भाई दूज और नव वर्ष की शुभकामनायें
गहन अभिव्यक्ति .....शुक्रिया !!
ReplyDeleteदीपावली की शुभकामनाएं.....
ReplyDeleteअच्छा लिखा है....!!
ReplyDeleteदीपोत्सव की शुभकामनायें !!
इस क्षणिक उजियारे मे
ReplyDeleteमीलों दूर तक घना अंधेरा है
जिसमे तन्हा हो कर
कोई तलाश रहा है
अपने अस्तित्व को
बहुत सुंदर दिल तक जाती हुईं पंक्तियाँ !
Happy Diwali..
ReplyDeleteagain a lovely post
Yashwant ji
ReplyDeleteaapko aur aapke parivaar ko Deepavali ki hardik subhkamnai.
सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत हू भावपूर्ण रचना!
ReplyDeleteDEEPWALI KI BAHUT BAHUT SHUBHKAMNAYEIN.....BAHUT SUNDAR PRASTUTI.................
ReplyDeleteअति सुन्दर यशवंत जी, अत्यंत विचार पूर्ण कविता,.......
ReplyDeleteमाना की अँधेरा घना है
पर वो दीप
जो टिमटिमा रहा है
झोपड़ी या फिर
महल के बाहर
लड़ रहा जो पल पल
मावस के अंधियारे से
उसका संघर्ष भी
छद्म नहीं है ..........
sundar sarthak rachana...deepawali ki mangal kamnayen..
ReplyDeleteआप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी प्रस्तुति ।
ReplyDeleteघना अंधेरा है हर तरफ
ReplyDeleteहर तरफ जद्दोजहद है
इस सुरंग से बाहर निकलने की
....... बहुत खूब .... शुभकामनायें !