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26 October 2011

अंधेरा या सवेरा....?

वो जो सामने की
झोपड्पट्टी के बाहर
जलते दीयों की
रोशनी दिखाई दे रही है
उसके भीतर घना अंधेरा है 
और उस अंधेरे मे
कोई जल रहा है

और वहाँ
उस झोपड्पट्टी के आखिरी छोर पर
दूधिया रोशनी मे नहाए
रईसों के आलीशान महल
जो बाहर से दमक रहे हैं
उनके भीतर भी
घना अंधेरा है
और उस अंधेरे मे
कोई कुरेद रहा है
अतीत के ज़ख़्मों को

काले आसमान को चीरती
ये मावस की उजली रात
रह रह कर गूँजती है
आतिशबाज़ी से
पड़वा की पौ फटने तक

इस क्षणिक उजियारे मे
मीलों दूर तक घना अंधेरा है
जिसमे तन्हा हो कर
कोई तलाश रहा है
अपने अस्तित्व को

घना अंधेरा है हर तरफ
हर तरफ जद्दोजहद है
इस सुरंग से बाहर निकलने की

एक लंबी राह सामने है
कदमों मे कंपन है
किन्तु गति नहीं

लग रहा है
ये छद्म सवेरा तो नहीं ?
या ये घना अंधेरा ही है ? 
छंटने के इंतज़ार मे
जो तड़फड़ा रहा है
'तमसो मा ज्योतिर्गमय'
के गूँजते आलाप में
खुद की मुक्ति को!

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दीपावली आप सभी पाठकों को सपरिवार मंगलमय हो! 
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36 comments:

  1. आपको, आपके मित्रों और परिजनों को भी दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें!

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  2. चर्चा मंच परिवार की ओर से दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ!
    आइए आप भी हमारे साथ आज के चर्चा मंच पर दीपावली मनाइए!

    ReplyDelete
  3. चर्चा मंच परिवार की ओर से दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ!
    आइए आप भी हमारे साथ आज के चर्चा मंच पर दीपावली मनाइए!

    ReplyDelete
  4. सुन्दर प्रस्तुति |

    दिवाली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ|

    ReplyDelete
  5. ज्योति पर्व की बहुत -२ बधाईयाँ , सुन्दरसृजन को , सम्मान ....मंगलमय हो दीपावली ../

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  6. एक लंबी राह सामने है
    कदमों मे कंपन है
    किन्तु गति नहीं

    बहुत सुंदर

    दीपावली की ढेर सारी शुभकामनाएं

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  7. सुंदर ..सार्थक रचना ..दीपावली की ढेरों शुभकामनाएं.....

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  8. मनोरम भावान्वेषण उत्कृष्ट रचना
    आपको और आपके परिवार को दीपावली की मंगल शुभकामनाएँ

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  9. सुन्दर प्रस्तुति...दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं....

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  10. बहुत सुंदर लिखा है ..सार्थक रचना ..दिवाली पर्व की आप को भी हार्दिक शुभकामनाएँ|

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  11. इस दिवाली - के शुभ
    अवसर पर -आप को सपरिवार --
    दीपावली की ढेरो शुभकामनाएं !

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  12. दीपावली की हार्दिक शुभकामनाये

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  13. आपको दीपावली की ढेरों मंगल-कामनाएं । सुन्दर कविता के लिय बधाई

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  14. सुन्दर प्रस्तुति…………दीप मोहब्बत का जलाओ तो कोई बात बने
    नफ़रतों को दिल से मिटाओ तो कोई बात बने
    हर चेहरे पर तबस्सुम खिलाओ तो कोई बात बने
    हर पेट मे अनाज पहुँचाओ तो कोई बात बने
    भ्रष्टाचार आतंक से आज़ाद कराओ तो कोई बात बने
    प्रेम सौहार्द भरा हिन्दुस्तान फिर से बनाओ तो कोई बात बने
    इस दीवाली प्रीत के दीप जलाओ तो कोई बात बने

    आपको और आपके परिवार को दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनायें।

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  15. बेहतरीन काव्य दीपावली की शुभकामनायें

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  16. अन्धकार और प्रकाश का खेल चल रहा है सदा से...
    प्रकाश का न होना ही अन्धकार है!
    शुभ दीपावली!

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  17. सुंदर प्रस्तुति
    आपको तथा आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ

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  18. Kya pata,baahar ka deep hi kabhi antas ko prajwalit kar de! Rasari aavat-jaat te....

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  19. बहुत सुन्दर..........बहुत गहराई है पोस्ट में........मर्म को छूती शानदार पोस्ट|

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  20. सुंदर भावाभिव्‍यक्ति ..
    .. आपको दीपपर्व की शुभकामनाएं !!

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  21. सुन्दर प्रस्तुति
    दिवाली, भाई दूज और नव वर्ष की शुभकामनायें

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  22. गहन अभिव्यक्ति .....शुक्रिया !!

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  23. दीपावली की शुभकामनाएं.....

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  24. अच्छा लिखा है....!!
    दीपोत्सव की शुभकामनायें !!

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  25. इस क्षणिक उजियारे मे
    मीलों दूर तक घना अंधेरा है
    जिसमे तन्हा हो कर
    कोई तलाश रहा है
    अपने अस्तित्व को

    बहुत सुंदर दिल तक जाती हुईं पंक्तियाँ !

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  26. Happy Diwali..
    again a lovely post

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  27. Yashwant ji
    aapko aur aapke parivaar ko Deepavali ki hardik subhkamnai.

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  28. सुन्दर प्रस्तुति

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  29. बहुत हू भावपूर्ण रचना!

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  30. DEEPWALI KI BAHUT BAHUT SHUBHKAMNAYEIN.....BAHUT SUNDAR PRASTUTI.................

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  31. अति सुन्दर यशवंत जी, अत्यंत विचार पूर्ण कविता,.......

    माना की अँधेरा घना है
    पर वो दीप
    जो टिमटिमा रहा है
    झोपड़ी या फिर
    महल के बाहर
    लड़ रहा जो पल पल
    मावस के अंधियारे से
    उसका संघर्ष भी
    छद्म नहीं है ..........

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  32. sundar sarthak rachana...deepawali ki mangal kamnayen..

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  33. आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद!

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  34. बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति ।

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  35. घना अंधेरा है हर तरफ
    हर तरफ जद्दोजहद है
    इस सुरंग से बाहर निकलने की
    ....... बहुत खूब .... शुभकामनायें !

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