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29 October 2011

तलाश मे हूँ......

उस वक़्त की तलाश मे हूँ
जिस वक़्त -
वक़्त तलाश लेगा
खुद को
किसी मानव रूप मे  
और
उसकी उंगली पकड़ कर
मैं चलने की
कोशिश करूंगा
आगे की ओर
भूल कर
अपने
पिछले कदमों के निशां !

29 comments:

  1. bahut khoob...
    "पर...
    जबवक़्त बन जायेगा इंसान
    तब...
    उसे भी सुनने होंगे कटाक्ष
    सुन्नी होगीं रुस्वाइयां
    सहना होगा बेवफा कहे जाने का दर्द
    और न जाने कितनी शिकायतें
    सिर्फ
    ज़रा-सा बदल जाने पर ..."

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  2. बहुत ही सुन्दर तलाश ...........

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  3. वही वक़्त अग्रसर है ...

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  4. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति.....वक़्त सुनेगा तो ठहर ही जायेगा.....

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  5. वो तलाश हमारी ही हैं...हमें ही तलाशना हैं अपने भीतर छुपे रत्नों को.

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  6. तलाश ज़रूर पूरी होगी...बहुत सुन्दर

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  7. बहुत ही सुन्दर तलाश है .....जरूर पूरी होगी...शुभकामनाएँ..

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  8. निरंतर आगे की ओर अग्रसर हों!

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  9. बहुत सुंदर पंक्तियाँ हैं..

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  10. आशा जगाती हुई सुन्दर रचना

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  11. खूबसूरत अभिव्यक्ति यशवंत शुभकामनाएं

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  12. मैं चलने की
    कोशिश करूंगा
    आगे की ओर
    भूल कर
    अपने
    पिछले कदमों के निशां !

    पिछला भूलना ही चाहिए .. आगे बढने के लिए !!

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  13. यक़ीनन अगला कदम खुबसूरत होगा.

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  14. काश! वक़्त की ये तलाश जल्दी पूरी हो..... बहुत ही अच्छी पंक्तिया.....

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  15. सुन्दर अभिव्यक्ति है आपकी यशवंत जी.

    मेरे ब्लॉग पर आप आये अच्छा लगा.

    आपके विचार जानकर और भी अच्छा लगता.

    बहुत बहुत आभार.

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  16. जिस वक़्त -
    वक़्त तलाश लेगा
    खुद को
    किसी मानव रूप मे ...
    जाने फिर वक़्त कैसा इन्सान हो
    हमारी उंगली थामेगा
    हमारे साथ चलेगा
    या हमें पीछे छोड़
    आगे निकल जायेगा...
    ये तो सब वक़्त ही बताएगा...
    बहुत अच्छी पंक्तिया.....

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  17. सुंदर ख्याल...
    सादर बधाई...

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  18. वक़्त का अच्छा बिम्ब प्रस्तुत किया है.बधाई.

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  19. बहुत बढि़या ।

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  20. वाह ........बहुत खुबसूरत अहसास|

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  21. सकारात्मक सन्देशप्रधान रचना!

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  22. वो वक्त बस आने ही वाला है ....... शुभकामनायें !

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  23. सटीक अभिव्यक्ति कविता अच्छी लगी ।

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  24. आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद!

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  25. बहुत सुंदर भावयुक्त कविता... आगे ही आगे जाता है वक्त...

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  26. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति.

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