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06 September 2012

अंतर्जाल का मायाजाल (Blog post No-351)

बड़ा विचित्र
चित्र है
अंतर्जाल के
मायाजाल का

मैं
तुम
और सब
फंस चुके हैं
इस जंजाल में
उलझ चुके हैं इतना
कि सुलझने का वक़्त नहीं

कोई
सीना तान कर
कर रहा है
सच का सामना
कोई हार के वार को
जीत का उपहार समझ कर
जी रहा है भ्रम में

सबकी
अपनी दुनिया है
अपने समूह हैं
सबके
अपने अधिकार हैं
कर्तव्य हैं

आभासी दुनिया में
आने से पहले
शायद पूर्वाभास नहीं था
भेड़ चाल का
मतभेद का
ऊंच-नीच का
शोषण का

पर
सच तो यही है
यहाँ सच कहना मना है
क्योंकि
अंतर्जाल का मायाजाल
टिका है
झूठ और दिखावे की
अदृश्य -अनकही
नींव पर। 

©यशवन्त माथुर©

29 comments:


  1. मैं
    तुम
    और सब
    फंस चुके हैं
    इस जंजाल में
    उलझ चुके हैं इतना
    कि सुलझने का वक़्त नहीं
    ....namaskaar yashwant ji , bahut sarthak rachna likhi aapne ,sach kaha aapne isme sabhi ulajh gaye hai aur is mayajaal se baahar nikale ka rasta nahi hai ....kitna jhoot hai kitna sach yah to pare hai aabhasi duniyaan mai ..badhai aapko sundar srajan ke liye

    ReplyDelete
  2. yashwant padkar dukh hua ki energy se bsre tum depressiv likhoge kavita achchee hai magar tumhe isse bahar aakar kuchh nsya karna hoga

    ReplyDelete
    Replies
    1. अरे नहीं सर! मैंने डिप्रेसिव नहीं लिखा है....बस जो महसूस हुआ उसे ही लिखने की कोशिश मात्र की है।

      Delete
  3. अंतर्जाल के आभासी रिश्ते जो आभासी नहीं होते .... कभी कभी गहरी चोट दे जाते हैं .... जब तक इंसान भ्रम में रहता है खुश रहता है और जब भ्रम टूटता है तो हतप्रभ रह जाता है ... विचारणीय रचना

    ReplyDelete
  4. पर
    सच तो यही है
    यहाँ सच कहना मना है
    क्योंकि
    अंतर्जाल का मायाजाल
    टिका है
    झूठ और दिखावे की
    अदृश्य -अनकही
    नींव पर।
    कब तक .... !!

    ReplyDelete
  5. इस जंजाल में
    उलझ चुके हैं इतना
    कि सुलझने का वक़्त नहीं,,,,,आपने सही कहा,,,,

    सार्थक सुंदर प्रस्तुति,,,,,
    RECENT POST,तुम जो मुस्करा दो,

    ReplyDelete
  6. सच कहा....
    बढ़िया कहा.......

    सस्नेह
    अनु दी

    ReplyDelete
  7. बहुत खुब. सुन्दर रचना.

    सादर.

    ReplyDelete
  8. उत्कृष्ट रचना

    ReplyDelete
  9. पर
    सच तो यही है
    यहाँ सच कहना मना है
    क्योंकि
    अंतर्जाल का मायाजाल
    टिका है
    झूठ और दिखावे की
    अदृश्य -अनकही
    नींव पर।
    इसी ठगने ठगाने की क्रिया में बीत जाती है जिंदगी क्या ज्यादा सोचना , और सोच भी लिया तो होगा क्या?

    ReplyDelete
  10. अंतरजाल के अंतर्द्वंद को प्रस्तुत करती सुन्दर रचना.

    आभार.

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  11. वाह ये तो इंटरनेट की क्‍लास हो गई

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  12. बिल्कुल सही कहा इसी माया सभी फँसे हैं ..बहुत सुन्दर..

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  13. बढ़िया रचना | बहुत कुछ सच बयां क्या है आपने |

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  14. क्यों न हम यह सोचकर ही खुश हो लें ...की इसी अंतरजाल की बदौलत...इतने सुन्दर मित्र बना सके हम सब ..क्यों है न ....

    ReplyDelete
  15. अंतर्जाल का मायाजाल
    टिका है
    झूठ और दिखावे की
    अदृश्य -अनकही
    नींव पर।
    ISLIYE ISMEN NAHI PHANSO TO HI THEEK HAE,
    ACHHI RACHNA YASHWANTJI

    ReplyDelete
  16. बहुत बढ़िया... जब जैसा महसूस हो लिख देना चाहिए...

    ReplyDelete
  17. बहुत बढ़िया... जब जैसा महसूस हो लिख देना चाहिए...

    ReplyDelete
  18. अंतर्जाल का मायाजाल
    टिका है
    झूठ और दिखावे की
    अदृश्य -अनकही
    नींव पर।

    sach kaha hai, bahut sunder abhivyakti.
    shubhkamnayen

    ReplyDelete
  19. bahut achchi rachna par mere vichar se to ye aabhasi dunia vastavik dunia se kuch bhi alag nahin...jaise mukhote log vastivk dunia mein lagaye ghumte hai vaise hi yahan par bhi...

    ReplyDelete
  20. मायाजाल का सच लिखा है ...
    बहु खूब ... बधाई यशवंत जी ...

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  21. आपकी बात में दम है. आभासी दुनिया शायद रचना जी का दिया शब्द है.
    यदि हमारे आभास भी ठीक हो जाएँ तो हमारा व्यक्तित्व बेहतर बन सकता है. आभासी दुनिया का यह महत्व है.

    ReplyDelete
  22. पर
    सच तो यही है
    यहाँ सच कहना मना है
    क्योंकि
    अंतर्जाल का मायाजाल
    टिका है
    झूठ और दिखावे की
    अदृश्य -अनकही
    नींव पर।

    bauhat khoob...

    ReplyDelete
  23. sach kaha apne...sundar shabdo may...

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  24. बहुत सटीक और विचारणीय रचना...

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  25. mano to duniya mai bahut kush aabhaasi hai , na mano to kuch nhi, dukh aur sukh to sifr apno se hi milte hai , to agar es antarjaan se hme kuch dukh milta hai to hmto yhi sochte hai chalo apno mai ek aur naam jud gaya....
    aapne wahi likha jo anubhav kiya aur ye anubhav kewal aapka nahi....

    ReplyDelete
  26. पूरा सच बोलना मना नहीं है यहाँ ,लेकिन लोग स्वेच्छया "आधा सच "बोलतें हैं लिखतें हैं ब्लोगियातें हैं .क्या कीजिएगा ? .
    ram ram bhai
    मंगलवार, 11 सितम्बर 2012
    देश की तो अवधारणा ही खत्म कर दी है इस सरकार ने

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