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02 July 2013

सब चाहते हैं......

सब चाहते हैं सबकी नाव
आकर लगे किनारे पर
सब चाहते हैं अबकी बार
हों खड़े बिना किसी सहारे पर

सब चाहते हैं पाते जाना
सागर की गहराइयों को
सब चाहते हैं छूते जाना
आसमान की ऊंचाइयों को

सब चाहते हैं चलते जाना
फिर भी थक कर बैठ जाते हैं
सब चाहते हैं कछुआ बनना
खरगोश बन कर सो जाते हैं

सब चाहते हैं पूरे सपने
सब चाहते हैं सब हों अपने
सब चाहते हैं सब कुछ पा कर
कुछ कभी न खो पाना

सब चाहते हैं ऐसे ही
जीवन धारा का चलता जाना
सब चाहते हैं पास आते ही
दूर किनारे से हट जाना 

सब चाहते हैं सबकी नाव
तैरती रहे जल धारा पर
सब चाहते हैं कभी न डूबे
किसी पत्थर से टकरा कर।
   
~यशवन्त माथुर©

20 comments:

  1. बहुत बढ़िया है भाई यशवंत-
    जुग जुग जियो-

    चाहत राहत दे नहीं, करना पड़े प्रयास |
    बिन प्रयास के क्या कभी, पूरे चाहत-ख़ास ||

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  2. लेकिन होता वही है जो राम रचि राखा

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  3. सबका मन चाहा कहाँ होता है
    आपका मन चाहा पूरा हो
    हार्दिक शुभकामनायें

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  4. सब चाहते है ऐसे ही जीवन धारा का चलती जाना ......बहुत सुंदर एहसास और सुंदर अभिव्यक्ति !!

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  5. ्सब तो यही चाहते हैं ..काश ऐसा ही हो..

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  6. पढ़ कर मुंह से वाह वाह ही निकलता हैं
    सच में बेहद सार्थक रचना है।
    बहुत अच्छी लगी

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  7. sab ki sabhi chahte puri kahan hoti hai....

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  8. बहुत सुंदर रचना, शुभकामनाये

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  9. वाकई सब यही चाहते हैं ......सरल प्रवाह

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  10. बहुत बढ़िया. हमारा अचेतन मन बना ही ऐसा है. खरीदारियाँ करता है और आशाएँ पालता जाता है.

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  11. jeevan ka saransh....bahut achha

    shubhkamnayen

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  12. जीवन में उभरती कामनाओं का खुबसूरत लेखा जोखा

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  13. सब चाहते हैं सब शुभ हो..पर ऐसा होता कहाँ है..होगा तब जब शुभता से ही प्रीत हो जाये...

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  14. चाहत के साथ पराया बी ऐसा हो तो कितना अच्छा हो जाए ...

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  15. जो चाहते हैं वह कब हो पाता है...बहुत सुन्दर और सटीक अभिव्यक्ति...

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  16. ख्वाहिशों का समग्र संकलन. बहुत बढ़िया.

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  17. चाहत तो सभी यही होती है ..... सुंदर पंक्तियाँ

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  18. सब कुछ मिल जाये जीवन में यह तो सभी की चाहत है..
    बहुत ही बेहतरीन रचना...
    :-)

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  19. सुन्दर पंक्तियाँ यशवंत भाई। वाकई चाहत तो सभी की ऐसी ही है, बस जो प्रेरित हो आगे बढे, उसकी जय है.
    सादर
    मधुरेश

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  20. चाहतें तो अंतहीन हैं ही...
    पूरी हों तो भी, न हो पाए तो भी!

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