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01 March 2014

पौधे से सीखो





उठ जाओ कितने ही ऊपर
देखो चाहे गगन को छूकर
जुड़े रहना धरती से देखो
बच्चों ! प्यारे पौधे से सीखो।

वो तुम से कुछ नहीं लेता है
फल फूल हवा भी देता है
उसको स्वार्थ का पता नहीं
वृक्ष बन कर छाँव बिखेरता है ।

दुख जीवन के सभी झेल कर
आँधी औ तूफानों से खेल कर
सीना तान कर जीना देखो
बच्चों ! प्यारे पौधे से सीखो।


~यशवन्त यश©

10 comments:

  1. बहुत ही खूबसूरत रचना
    बहुत बहुत बधाई और हार्दिक शुभकामनायें
    =
    कल शायद इसका प्रमाण-पत्र मिल जाये .... उसे भी यही स्थान दे दीजिएगा

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  2. बहुत शिक्षापरक

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  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (02-03-2014) को "पौधे से सीखो" (चर्चा मंच-1539) पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  4. आपकी इस प्रस्तुति को शनि अमावस्या और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

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  5. i think bachcho se jyada bado ko isse sikhna chahie.....
    hmmmmmmmm..........
    bahut hi khubsurat rachna.....:-)

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  6. sir dusro ko kahte ho aapne bhi to comments moderation on kar rakha hai...?????

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    1. COMMENT MODERATION ऑफ करने के लिये तो मैंने किसी को कभी नहीं कहा।

      वर्ड वेरिफिकेशनऑफ करने के लिये ज़रूर कहता हूँ।

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  7. sabse pahle toh bahut bahut badhaai .. seedhi saadi lekin saras kavita .. short n sweet.

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