प्रतिलिप्याधिकार/सर्वाधिकार सुरक्षित ©

इस ब्लॉग पर प्रकाशित अभिव्यक्ति (संदर्भित-संकलित गीत /चित्र /आलेख अथवा निबंध को छोड़ कर) पूर्णत: मौलिक एवं सर्वाधिकार सुरक्षित है।
यदि कहीं प्रकाशित करना चाहें तो yashwant009@gmail.com द्वारा पूर्वानुमति/सहमति अवश्य प्राप्त कर लें।

27 August 2020

बहुत हैं....

प्रश्न भी बहुत हैं
उत्तर भी बहुत हैं
फिर भी
उलझनों की राह पर
वक़्त चलता जा रहा है
जाने क्या होता जा रहा है?

सोचा तो नहीं था
कि ऐसा भी होगा
जिन्हें अपना समझता रहा
उनकी नज़रों में
धोखा ही होगा।

कल्पना के हर उजाले में
अब अंधेरे बहुत हैं
कोरे स्याह इन पन्नों को
कुरेदने वाले बहुत हैं।

-यशवन्त माथुर ©
27082020 

6 comments:

  1. सोचा तो नहीं था
    कि ऐसा भी होगा
    जिन्हें अपना समझता रहा
    उनकी नज़रों में
    धोखा ही होगा।
    ऐसे कहाँ सोचते हैं जब धोखा होता है तब मुँह की खाते हैं
    बहि सुन्दर सृजन।

    ReplyDelete
  2. फिर भी आशा का दामन थाम कर रखना है, कोई करे न करे अपने आप पर व उस रब पर भरोसा रखना है

    ReplyDelete
  3. बहुत सुंदर

    ReplyDelete
  4. बहुत हैं..
    बहुत बहुत सवारने वाले..
    बहुत बहुत मुकरने वाले..
    वक्त वक्त के साथी भी
    वक्त वक्त बदलने वाले..


    आपको समर्पित

    ReplyDelete

Popular Posts

+Get Now!