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22 August 2020

छोटी बात

जो सक्षम हो कर भी
असमर्थ हों
उन तथाकथित
अपनों से दूर होने की
गर आ जाए सामर्थ्य
तो धन्य हो कर
कूच कर जाऊँ
एक नयी दुनिया की ओर।

-यशवन्त माथुर ©
22082020

5 comments:

  1. बहुत सुन्दर

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  2. वाह!!!
    क्या बात...।

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  3. वर्तमान परिवेश का यथार्थ जो हर हृदय में खनकता है अपने शब्द दिए। सराहना से परे।
    सादर प्रणाम

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  4. हमारे लिए जो तथाकथित हैं हम क्या हैं उनके लिए... दूरी तो अब भी बनी ही हुई है निकटता तो कभी थी ही नहीं, मन जो लगता है निकट आत्मा के आसमान से भी दूर नहीं है

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