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16 November 2010

एक प्रश्न ......

क्या यही है हमारी  आधुनिक और रोजगार परक शिक्षा ?

साभार 'हिन्दुस्तान'-लखनऊ-16/11/2010 



आज बस इतना ही...

8 comments:

  1. यह हमारे देश की बढ़ती जनसंख्या और बेरोजगारी की देन है। गरीबी तो जैसे अमरबेल बन गई है। कमाने के लिए कोई भी नौकरी करना मजबूरी है। यह सरकारी नौकरी का मोह नहीं है बल्कि बेरोजगारी से अच्छा कुछ काम करने की और परिवार चलाने की मजबूरी है

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  2. बेरोजगारी की मजबूरी ....और सरकारी नौकरी की चाहत में यहां भी प्रयास करने में बुराई नहीं समझते ...जितनी बेकारी में होती है ।

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  3. Dear Yashwant,
    Mark my presence....
    Won't say anything however!
    Ashish

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  4. आदरणीया वीणा जी,सदा जी,जाकिर जी,मोनिका जी एवं आशीष जी इस पोस्ट पर आप के विचारों के लिए शुक्रिया.

    वीना जी मैं आप की बात से बिलकुल सहमत हूँ पर अगर यही नौकरी करनी है तो माँ बाप का मेहनत से कमाया गया पैसा ऊंची डिग्री हासिल करने में क्यों लगाया जाय.उस पैसे का उपयोग कहीं और भी किया जा सकता है.

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  5. यशवंत जी जब डिग्री हासिल की जाती है तो यह नहीं पता होता कि भविष्य में क्या होगा...डिग्री हासिल करने के बाद माता-पिता का पैसे बर्बाद होगा या कारगर सिद्ध होगा और पढ़ना तो ज्ञान बढ़ाता है जिसकी जरूरत हर कदम पर पड़ती है और ज्ञान आपको कहां पर बचाता है यह तो समय ही बता सकता है। संघर्ष इंसान को मजबूती देता है और अपने पैरों पर खड़े होना वाकई बड़ी बात है काम कैसा भी हो...सिर उठाकर सम्मान से जीना आना चाहिए....

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  6. वीना जी, आप की बात बिलकुल सही है कोई भी काम छोटा या बड़ा बहीं होता.आत्म सम्मान से जीना सबसे बड़ी चीज़ है.

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