प्रतिलिप्याधिकार/सर्वाधिकार सुरक्षित ©

इस ब्लॉग पर प्रकाशित अभिव्यक्ति (संदर्भित-संकलित गीत /चित्र /आलेख अथवा निबंध को छोड़ कर) पूर्णत: मौलिक एवं सर्वाधिकार सुरक्षित है।
यदि कहीं प्रकाशित करना चाहें तो yashwant009@gmail.com द्वारा पूर्वानुमति/सहमति अवश्य प्राप्त कर लें।

04 December 2011

जाना तो होगा ही

जाना तो होगा ही
आज नहीं तो कल
एक दिन
एक हल्की सी आहट
बुलावे की
और फिर
दीवार पर टंगी
किसी तस्वीर की जगह
पाना खुद को होगा ही
जाना तो होगा ही

जाना तो होगा ही
मैं चाहूँ न चाहूँ
तुम चाहो न चाहो
शायद पहले मैं
या मुझ से पहले तुम
कितनी ही क्यों न हो अंतरंगता
एक दिन
टूट कर 
बिखरना तो होगा ही

जाना तो होगा ही ।

34 comments:

  1. जीवन का सत्य यही है....

    जाना तो होगा ही....सुन्दर और सच्चाई को बयां करती रचना ....

    ReplyDelete
  2. यही शाश्वत सत्य है।

    ReplyDelete
  3. बिल्कुल सच
    फिर भी माया मोह

    ReplyDelete
  4. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति |

    ReplyDelete
  5. गहन ...उदास ..किन्तु अटल सत्य ....
    मृत्यु से बुरा कुछ भी नहीं और ..
    मृत्यु से सच्चा कुछ भी नहीं ....
    कटु सत्य ...

    ReplyDelete
  6. जाना तो होगा ही...
    बस पूरी जिंदगी जी कर जाएँ तो संतोष रहता है!

    ReplyDelete
  7. अनुपमा जी, मृत्यु से अच्छा भी कोई नहीं...कल्पना कीजिये कि मृत्यु नहीं है तोजिवं कितना भयावह हो जायेगा...बस करना इतना है कि वह मृत्यु आये उससे पहले ही मरना सीख लें...यशवंत जी, बहुत सुंदर कविता...जीवन के करीब.

    ReplyDelete
  8. गीता यही है, बुद्धत्व यही तो है, - जाना है

    ReplyDelete
  9. यही शाश्वत सत्य है ..जाना तो है ही ... फिर क्यों इतनी आपा धापी है

    ReplyDelete
  10. जीवन का कटु सत्य है.... भावो की बेहतरीन अभिवयक्ति.....

    ReplyDelete
  11. जाना तो होगा ही.

    बिलकुल सही कहा है आपने यशवंत भाई. पर यही तो मुश्किल है जो परम सत्य है हम उसी को समझ नही पाते.

    सुंदर रचना.

    ReplyDelete
  12. जाना है,हाँ बिलकुल .पर जब तक इस पड़ाव पर हैं तब तक का विचारने और करने का काम हमारा है.अगले पड़ाव की बात वहाँ जाने पर.

    ReplyDelete
  13. अटल सत्य

    सुन्दर प्रस्तुति ||

    बधाई ||

    http://terahsatrah.blogspot.com

    ReplyDelete
  14. जीवन का एक यही सत्य..भावो की सुन्दर अभिवयक्ति...

    ReplyDelete
  15. बेहतरीन अभिव्यक्ति ..

    ReplyDelete
  16. जीवन और मृत्यु के चक्र को दर्शाती बहुत ही सुन्दर रचना है..
    आपकी यह रचना बहुत ही बेहतरीन है..

    ReplyDelete
  17. मन तो कह रहा है जीतनी बार पढू उतनी बार comment दू ...
    बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति है....

    ReplyDelete
  18. सच है ... सुंदर पंक्तियाँ

    ReplyDelete
  19. जीवन का अंतिम सच ....खूबसूरत कविता के माध्यम से ......

    ReplyDelete
  20. जाना तो होगा ही
    मैं चाहूँ न चाहूँ
    तुम चाहो न चाहो
    शायद पहले मैं
    या मुझ से पहले तुम
    कितनी ही क्यों न हो अंतरंगता
    एक दिन
    टूट कर
    बिखरना तो होगा ही

    हर शब्‍द व्‍यथित सा ... सशक्‍त अभिव्‍यक्ति ।

    ReplyDelete
  21. हां,नाम कुछ भी दे लीजिए-जाना,बिखराव या कि यात्रा!

    ReplyDelete
  22. हाँ जाना तो होगा ही...

    ReplyDelete
  23. शाश्वत की सुन्दर अभिव्यक्ति...
    सादर...

    ReplyDelete
  24. कितनी ही क्यों न हो अंतरंगता
    एक दिन
    टूट कर
    बिखरना तो होगा ही
    जाना तो होगा ही ।
    .yahi shaswat sach hai... baaki sab bhram hai..
    bahut badiya bhavabhvykti.............

    ReplyDelete
  25. jivan ki kadwi sachchai ko darshati hui apki kawita bahut achchhi ban padi hai....umda prastuti

    ReplyDelete
  26. bahut accha likha aapne
    jeevan ki sacchai hain...

    ReplyDelete
  27. यही परम सत्य है|

    ReplyDelete
  28. Bahut sundarta se aapne ek is jeevan ke ek sachchai ko darshaaaya hai...hum jis din is duniya mei aankhen kholte hai usi din se jaane ki tayyari ho jati hai shuru aur yah satya jaante huye bhi kitne bawaal kitna ghamand kitna laalach

    ReplyDelete
  29. ahh the bitter truth... too hard to digest

    ReplyDelete
  30. आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद!

    ReplyDelete
  31. मृत्यु तो अवश्यम्भावी है.....
    बहुत सार्थक रचना,
    शुभकामनाएं.

    ReplyDelete
+Get Now!