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16 September 2012

कौन जानता है ?

अर्थ के अर्थों में
डूबकी लगा कर
अनर्थ का व्यर्थ प्रपंच
किस अर्थ की
करेगा व्याख्या
कौन जानता है ?

परिदृश्य में वही है
जो सदृश्य है
श्वेत रंगीनी के पीछे
अदृश्य कालिमा की कथा
कब बांचेगा कोई
कौन जानता है ?

भद्रता की मिसरी बन कर
अभद्रता का अर्धसत्य
पूर्णविराम की प्रत्याशा में
कब तक सहेगा अल्प विराम
कौन जानता है ?

तर्क का कुतर्क रूप
अपने अस्थायित्व में
घिस घिस कर कलम की नोंक
कब तक करेगा छलनी
कागज के वक्ष को
कौन जानता है ?

अनर्थ का व्यर्थ प्रपंच
कब तक छुपा सकेगा
भीतर का रंज
अर्थ का सार्थक अर्थ
किस क्षण हो उठे प्रकट
कौन जानता है ?

©यशवन्त माथुर©

16 comments:

  1. अनर्थ का व्यर्थ प्रपंच
    कब तक छुपा सकेगा
    भीतर का रंज
    अर्थ का सार्थक अर्थ
    किस क्षण हो उठे प्रकट
    कौन जानता है ?
    समय सब जानता है ,
    जबाब भी देता है .... !!

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  2. वाह...
    भद्रता की मिसरी बन कर
    अभद्रता का अर्धसत्य
    पूर्णविराम की प्रत्याशा में
    कब तक सहेगा अल्प विराम
    कौन जानता है ?

    बहुत बढ़िया यशवंत...
    जियो...
    सस्नेह
    अनु

    ReplyDelete
  3. अनर्थ का व्यर्थ प्रपंच
    कब तक छुपा सकेगा
    भीतर का रंज
    अर्थ का सार्थक अर्थ
    किस क्षण हो उठे प्रकट
    कौन जानता है ?

    बहुत सुन्दर विचारों का प्रवाह

    ReplyDelete
  4. अनर्थ का व्यर्थ प्रपंच
    कब तक छुपा सकेगा
    भीतर का रंज
    अर्थ का सार्थक अर्थ
    किस क्षण हो उठे प्रकट
    कौन जानता है ?

    beautiful lines very near to my heart ful of emotins and feelings YASHWANT MATHUR JI VERY GOOD MORNING.

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  5. प्रकट और अप्रकट के बीच का अंतर कौन जानता है ...
    कई बार महसूस होता है यही !

    ReplyDelete
  6. बहुत ही गह्वर और सारगर्भित रचना !
    शब्द सृजन और शिल्प सराहनीय!

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  7. भद्रता की मिसरी बन कर
    अभद्रता का अर्धसत्य
    पूर्णविराम की प्रत्याशा में
    कब तक सहेगा अल्प विराम
    कौन जानता है ?

    गहरी अभिव्यक्ति.... बेहतरीन रचना

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  8. अर्थ का सार्थक अर्थ
    किस क्षण हो उठे प्रकट
    कौन जानता है ?....bahut pasand aayee.....

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  9. अद्भुत विरोधाभास को दर्शाती एक प्रभावशाली अभिव्यक्ति... बधाई!

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  10. अनर्थ का व्यर्थ प्रपंच
    कब तक छुपा सकेगा
    भीतर का रंज
    अर्थ का सार्थक अर्थ
    किस क्षण हो उठे प्रकट
    कौन जानता है ?

    सुंदर प्रस्तुति |
    मेरी नई पोस्ट में आपका स्वागत है |
    मेरा काव्य-पिटारा:बुलाया करो

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  11. गहन सोच, सुंदर अभिव्यक्ति... गंभीर रचना...
    ~ बढ़िया प्रस्तुति यशवंत !

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  12. अनर्थ का व्यर्थ प्रपंच
    कब तक छुपा सकेगा
    भीतर का रंज
    अर्थ का सार्थक अर्थ
    किस क्षण हो उठे प्रकट
    कौन जानता है ?.....भावो को बहुत सुन्दर शब्दो में प्रस्तुत कर विरोधाभास की खुबसूरतअभिव्यक्ति...

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  13. गहनता लिए रचना...
    यशवंत जी...
    गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाये...
    :-)

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  14. गहन अभिव्यक्ति ... आंदोलित करती है ये रचना ...
    बधाई ...

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  15. बहुत सटीक .... आज कल ब्लॉग जगत में भी अर्थ के अनर्थ देखे जा रहे हैं .... सशक्त अभिव्यक्ति

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