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02 December 2012

यह कविता नहीं....

बस
कुछ टूटे फूटे शब्द
नियमों से परे
कभी कभी
ले लेते हैं
एक आकार
कर देते हैं
कल्पना को साकार

जिनमे न रस
न छंद
न अलंकार की सुंदरता
जिनमे न हलंत
न विसर्ग
न विराम और
मात्राओं की जटिलता

बस है
तो सिर्फ
एक मुक्त
उछृंखल
अभिव्यक्ति
अन्तर्मन की

पंक्ति !
हाँ यह
बिखरे शब्द
इधर उधर उड़ते शब्द
कुछ कहते शब्द
सिर्फ कुछ पंक्तियाँ हैं
कविता नहीं

क्योंकि
कुछ कहना आसान है
शब्दों को ऊपर नीचे
सजाना आसान है
आसान है तुकबंदी
भावनाओं की जुगल बंदी
आसान है
मर्म स्पर्शी लिखना
पर बहुत कठिन है
कविता रचना । 

©यशवन्त माथुर©

 

22 comments:

  1. बहुत सच कहा है, पर यह निश्चय ही सुन्दर और सार्थक कविता है...

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  2. धन्यवाद अंकल

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  3. कहा है मुश्किल .. आपने अभी अभी तो फ्रूव किया है इतनी लाजवाब रचना गढ़ के ... बहुत खूब ...

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  4. बहुत बहुत धन्यवाद सर!

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  5. बिल्कुल सही कहा यशवंत...वास्तव में काविता रचना बहुत मुश्किल होता है ...एक बार मैंने भी कुछ यूँही लिखा था

    सिर्फ लिखने के लिए लिखना

    कितना सार्थक है

    कितना है निरर्थक

    बिन सोचे, बिन जाने

    सिर्फ कुछ कागज रंगना

    हर बार का धोखा

    हर बार गलतफहमी

    शायद इस बार

    बात दिल की हमने

    लफ्ज़ ब लफ्ज़

    बिलकुल सही कह दी

    वाकई

    क्या उकेर पाते है हम

    अपने ज़ज्बातों को

    पोशीदा ख्यालातों को

    जानते है हम भी कि

    कलम कि नोक तक आते

    हज़ार रंग बदल लेती है ख्वाहिशें

    बात बदलती है तो

    रुख नया इख्तियार

    करती है हैं हसरतें

    फिर भी करते हम दावा

    दिल बात जहाँ को

    समझाने का

    शब्दों से खिलवाड़ कर

    शायर, कवि, लेखक

    बन जाने का

    काश!

    इतनी कुव्वत देता खुदा

    इंसान कर पाता जो खुद को बयां

    कम से कम

    एक इंसान दूसरे को तो समझ पाता............

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  6. बहुत बहुत धन्यवाद मैम!
    आपकी कविता सच को दिखाती है। इसे यहाँ भी साझा करने के लिये आपका आभारी हूँ।

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  7. कविता लिखना वाकई कठिन काम है कविता न तो कसरत से लिखी जा सकती है, न कोशिश से, न कोष से और न शब्द कोश से । यह तो अनुभूतियों को सार्थक शब्द देने की कला है जो गुरु और दैवीय कृपा के बिना संभव नहीं ।
    आपकी अनुभूतियों को जो स्वर मिला है वह भी माँ सरस्वती का प्रसाद है। बहुत-बहुत साधुवाद।

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  8. आपने बिलकुल सही कहा।

    बहुत बहुत धन्यवाद इन्दु जी।

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  9. धन्यवाद दीदी

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  10. मेल पर प्राप्त टिप्पणी-

    vibha rani shrivastava


    मुझे तो बहुत अच्छी लगी :)

    इसे अगर कविता नहीं कहें तो

    किसी को कविता लिखनी नहीं आती

    शुभकामनायें !!

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  11. धन्यवाद आंटी!
    मैं सच मे अपने लिखे को कविता नहीं 'पंक्ति' ही मानता हूँ ।

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  12. बेहतरीन ...

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  13. धन्यवाद आंटी !

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  14. आपकी यह कुछ पंक्तियाँ ही बहुत बेहतरीन लगी..
    :-)

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  15. धन्यवाद रीना जी

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  16. Beautiful...

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  17. दीदी मैं इसे भी कविता नहीं मानता....[image: :)] मैं अपने लिखे को 'पंक्ति' ही मानता हूँ ।

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  18. मगर ये कठिन कार्य आपने बखूबी कर डाला.....

    बहुत सुन्दर.....
    सस्नेह
    अनु

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  19. कविता कहना हो कठिन, किन्तु मूल हैं भाव |
    शब्दों को तो चाहिए, थोडा सा ठहराव |
    थोडा सा ठहराव , ऊर्जा गतिज हमेशा |
    पैदा कर विखराव, नहीं दे सके सँदेशा |
    स्थिति-प्रज्ञ स्थितिज, देखिये ऊपर सविता |
    परिक्रमा कर धरा, धरा पर रचिए कविता ||

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  20. आपकी टिप्पणी का हमेशा इंतज़ार रहता है अंकल।

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  21. बहुत बहुत धन्यवाद अंकल!

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