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06 June 2013

फर्क नहीं पड़ता

यूं तो दीवारों पर लटकी हुई हैं तस्वीरें
गर्द जम भी जाए तो फर्क नहीं पड़ता

चेहरा तो वही भले ही धूल के मुखौटे में
राज़ छुप भी जाए तो फर्क नहीं पड़ता

वक़्त की दीमक खोखला कर दे भले ही भीतर से
असली सूरत हो वही तो फर्क नहीं पड़ता

फर्क नहीं पड़ता बस कहने भर की बातों से
एक बूंद कम होने से समुंदर कम नहीं पड़ता

यूं तो दीवारों पर लटकी हुई हैं तस्वीरें
कोई डाले न इक नज़र तो फर्क नहीं पड़ता। 

~यशवन्त माथुर©

15 comments:

  1. बहुत खूब यशवंत जी ...."वक़्त की दीमक खोखला कर दे भले ही भीतर से,असली सूरत हो वही तो फर्क नहीं पड़ता"

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  2. फर्क नहीं पड़ता बस कहने भर की बातों से
    एक बूंद कम होने से समुंदर कम नहीं पड़ता
    सार्थक बातें .... सच्ची अभिव्यक्ति ....

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  3. बहुत सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति.आभार . मुलायम मन की पीड़ा साथ ही जानिए संपत्ति के अधिकार का इतिहास संपत्ति का अधिकार -3महिलाओं के लिए अनोखी शुरुआत आज ही जुड़ेंWOMAN ABOUT MAN

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  4. फर्क नहीं पड़ता बस कहने भर की बातों से
    एक बूंद कम होने से समुंदर कम नहीं पड़ता

    सचमुच समुन्दर को कोई फर्क नहीं पड़ता पर बूंद को शायद पड़ता हो..अलग हो जाने से..

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  5. बहुत बढ़िया...अर्थपूर्ण रचना...

    सस्नेह
    अनु

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  6. बहुत सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति... यशवंत शुभकामनाएं..

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  7. बहुत सुन्दर यशवंत जी

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  8. उम्दा भाव

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  9. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति।

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  10. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति... शुभकामनाएं...

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  11. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति,,

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  12. एक बूंद कम होने से समुद्र के नदी बनने का सफर शुरू होता है ...... अच्छी अभिव्यक्ति ,शुभकामनाएं :)

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  13. par fark to padta hai aakhir, keh kuchh bhi lein
    nice creation.
    shubhkamnayen

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