यूं तो दीवारों पर लटकी हुई हैं तस्वीरें
गर्द जम भी जाए तो फर्क नहीं पड़ता
चेहरा तो वही भले ही धूल के मुखौटे में
राज़ छुप भी जाए तो फर्क नहीं पड़ता
वक़्त की दीमक खोखला कर दे भले ही भीतर से
असली सूरत हो वही तो फर्क नहीं पड़ता
फर्क नहीं पड़ता बस कहने भर की बातों से
एक बूंद कम होने से समुंदर कम नहीं पड़ता
यूं तो दीवारों पर लटकी हुई हैं तस्वीरें
कोई डाले न इक नज़र तो फर्क नहीं पड़ता।
~यशवन्त माथुर©
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बहुत खूब यशवंत जी ...."वक़्त की दीमक खोखला कर दे भले ही भीतर से,असली सूरत हो वही तो फर्क नहीं पड़ता"
ReplyDeleteफर्क नहीं पड़ता बस कहने भर की बातों से
ReplyDeleteएक बूंद कम होने से समुंदर कम नहीं पड़ता
सार्थक बातें .... सच्ची अभिव्यक्ति ....
बहुत सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति.आभार . मुलायम मन की पीड़ा साथ ही जानिए संपत्ति के अधिकार का इतिहास संपत्ति का अधिकार -3महिलाओं के लिए अनोखी शुरुआत आज ही जुड़ेंWOMAN ABOUT MAN
ReplyDeleteफर्क नहीं पड़ता बस कहने भर की बातों से
ReplyDeleteएक बूंद कम होने से समुंदर कम नहीं पड़ता
सचमुच समुन्दर को कोई फर्क नहीं पड़ता पर बूंद को शायद पड़ता हो..अलग हो जाने से..
बहुत बढ़िया...अर्थपूर्ण रचना...
ReplyDeleteसस्नेह
अनु
बहुत सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति... यशवंत शुभकामनाएं..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर यशवंत जी
ReplyDeleteउम्दा भाव
ReplyDeleteबहुत सुंदर अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति... शुभकामनाएं...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति,,
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
ReplyDeleteएक बूंद कम होने से समुद्र के नदी बनने का सफर शुरू होता है ...... अच्छी अभिव्यक्ति ,शुभकामनाएं :)
ReplyDeletepar fark to padta hai aakhir, keh kuchh bhi lein
ReplyDeletenice creation.
shubhkamnayen