दिन में
खिले खिले ख्याल
शाम होते ही
मुरझा जाते हैं
परागविहीन
किसी फूल की तरह
थक कर चूर हो कर
या तो
अलग कर लेते हैं खुद को
मन की डाली से
या
उतरा सा चेहरा लिए
नये जीवन की आशा में
तोड़ देते हैं दम....
और फिर
मौका पाकर
ख्यालों की नयी कलियाँ
ख्वाबों से बाहर आकर
हर नयी सुबह
एक नया फूल बन कर
बिखरा देती हैं
नयी सी खुशबू
जीवन वृत्त की
सभी दिशाओं में।
~यशवन्त यश©
खिले खिले ख्याल
शाम होते ही
मुरझा जाते हैं
परागविहीन
किसी फूल की तरह
थक कर चूर हो कर
या तो
अलग कर लेते हैं खुद को
मन की डाली से
या
उतरा सा चेहरा लिए
नये जीवन की आशा में
तोड़ देते हैं दम....
और फिर
मौका पाकर
ख्यालों की नयी कलियाँ
ख्वाबों से बाहर आकर
हर नयी सुबह
एक नया फूल बन कर
बिखरा देती हैं
नयी सी खुशबू
जीवन वृत्त की
सभी दिशाओं में।
~यशवन्त यश©
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