अनजानी दिशाओं की ओर
यात्रा पर निकले
कुछ ख्याल
कभी पा लेते हैं
अपनी मंज़िल
और कभी
देहरी छूने से पहले ही
हो जाते हैं
गुमशुदा
हमेशा के लिये ....
बादलों के संग
तूफानी हवा के संग
बहते -उड़ते
कुछ ख्याल
कभी आ गिरते हैं
धरती पर
चोटिल हो कर
उखड़ती साँसों को
बेहोशी में गिनते हुए
बस तरसते रहते हैं
जीवन नीर की
दो बूंदों को
यूं ही मन में
जगह बनाते
कुछ ख्याल।
~यशवन्त यश©
यात्रा पर निकले
कुछ ख्याल
कभी पा लेते हैं
अपनी मंज़िल
और कभी
देहरी छूने से पहले ही
हो जाते हैं
गुमशुदा
हमेशा के लिये ....
बादलों के संग
तूफानी हवा के संग
बहते -उड़ते
कुछ ख्याल
कभी आ गिरते हैं
धरती पर
चोटिल हो कर
उखड़ती साँसों को
बेहोशी में गिनते हुए
बस तरसते रहते हैं
जीवन नीर की
दो बूंदों को
यूं ही मन में
जगह बनाते
कुछ ख्याल।
~यशवन्त यश©
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