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07 December 2018

घूरता जाता हूँ.........

जिन्हें कभी लिखता हूँ, कभी लिख कर मिटाता हूँ बस एकटक उन्हीं शब्दों को,कभी घूरता जाता हूँ। चरित्र के प्रमाण की मुझको कोई ज़रूरत नहीं सच का चेहरा ले कर ही ,आता और जाता हूँ। जवाब क्या दूँ उनको, जिनको कुछ पल की पता है भलाई करना ही इस दौर की सबसे बड़ी खता है। माना कि पत्थर हूँ, पर चोटें मैं भी खाता हूँ खुद पर उभरी खरोचों को ही घूरता जाता हूँ । - यश© 07/दिसंबर/2018

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