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09 May 2012

गायब हो जाऊं .....

सोच रहा हूँ
कुछ पल को
गायब हो कर
कहीं अपने मे
खो कर
एक कोशिश करूँ
खुद को समझने की
जिसमे असफल रहा हूँ
अब तक 
अपने कमरे मे
मैंने बंद कर दिये हैं
रोशन होने वाले रास्ते
कानों मे भर ली है रुई
और आँखें बंद
खुद को सुनने के लिये
खुद को देखने के लिये
ज़रूरी है-
यह विश्राम
क्योंकि
मन की किताब के
हर पन्ने पर  लिखे
बारीक अक्षर
मेरी समझ मे
जल्दी नहीं आते।

<<<<यशवन्त माथुर >>>>
 

30 comments:

  1. बेहतरीन प्रस्‍तुति।

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  2. अपने आप से मिलने के लिए बाहरी जगत से कुछ पल का विराम आवश्यक है!
    सारे बारीक अक्षर बांच लें आप अपने मन के!
    शुभकामनाएं!

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  3. क्योंकि
    मन की किताब के
    हर पन्ने पर लिखे
    बारीक अक्षर
    मेरी समझ मे
    जल्दी नहीं आते।

    सुंदर प्रस्तुति,..

    my recent post....काव्यान्जलि ...: कभी कभी.....

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  4. mujhe bhi nahin samajh aate ye akshar :)...apne sath samay bitana bahut jaruri hai..bahut achhi rachna :)

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  5. अपने आप से मिलने की कामना ..
    बहुत सुन्दर
    तथास्तु

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  6. एक कोशिश करूँ
    खुद को समझने की
    तथास्तु ... अंतर्द्वंद और आत्मनिरीक्षण की जद्दोजहद

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  7. par apne liye sabko samay milta hi kaha h....????

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    Replies
    1. बहुत ज़रूरी है ....बस यही हम नहीं कर पाते .....

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  8. बहुत जरुरी होता है खुद को सुनना, देखना और कुछ पल का विश्राम देना... सुन्दर रचना

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  9. gayab hona bhi jaruri hai.... behtreen....

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  10. एकाग्रता जरूरी है ...
    शुभकामनायें !

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  11. खुद से मुलाक़ात कर्ण भी ज़रूरी है ...सुंदर प्रस्तुति

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  12. सार्थक रचना...स्व को समझने के लिए...

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  13. ज़रूरी है-
    यह विश्राम
    क्योंकि
    मन की किताब के
    हर पन्ने पर लिखे
    बारीक अक्षर
    मेरी समझ मे
    जल्दी नहीं आते।

    *दक्ष-दिग्गज-दिग्विजय
    किस उलझन-दुविधा-उधेड़बुन में और क्यों*.... ??

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  14. गहन पोस्ट....मन पर लिखी बातों को पढ़ने के लिए आँख का विचार रहित होना ज़रूरी है।

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  15. हर दिन जैसा है सजा, सजा-मजा भरपूर |
    प्रस्तुत चर्चा-मंच बस, एक क्लिक भर दूर ||

    शुक्रवारीय चर्चा-मंच
    charchamanch.blogspot.in

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  16. कभी कभी स्व-चिंतन भी आत्म साक्षात्कार के लिये ज़रूरी है....बहुत सुन्दर

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  17. किसी के समझ नहीं आते वो बारीक अक्षर.....
    आपने समझने चाहे ये ही बहुत है.........

    बहुत सुंदर भाव यशवंत
    सस्नेह.

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  18. bahut sundar rachna ! har kisi ko apne liye samay nikalna chahiye !

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  19. मन की किताब के
    हर पन्ने पर लिखे
    बारीक अक्षर
    मेरी समझ मे
    जल्दी नहीं आते।

    मन की किताब को पढ़ने की ख्वाहिश ही अपने आप में बहुत सुंदर है...शुभकामनायें!

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  20. कभी- कभी खुद को समझने के लिए विश्राम भी जरुरी होता...अपने लिए भी समय चाहिये..सुन्दर अभिव्यक्ति............सस्नेह..

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  21. अपने को जानने की बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
    जब खुद को जान जायेंगे अपने मन के छोटे छोटे शब्दों को भी पढ़ पाओगे

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  22. खुद से मुलाकात भी जरुरी है..
    सुंदर सार्थक रचना:-)

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  23. खुद से मिलना बातें करना अच्छा लगता है

    सुंदर प्रस्तुति

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