प्रतिलिप्याधिकार/सर्वाधिकार सुरक्षित ©

इस ब्लॉग पर प्रकाशित अभिव्यक्ति (संदर्भित-संकलित गीत /चित्र /आलेख अथवा निबंध को छोड़ कर) पूर्णत: मौलिक एवं सर्वाधिकार सुरक्षित है।
यदि कहीं प्रकाशित करना चाहें तो yashwant009@gmail.com द्वारा पूर्वानुमति/सहमति अवश्य प्राप्त कर लें।

24 June 2013

जाने क्यों इतना बहता है पानी

जाने क्यों इतना बहता है पानी
अपनी कल-कल में आज रचता
मन में कोई कहानी

ताल तलैया,नदियां सागर
कल्पना के सीप समा कर
कुछ छोड़ किनारे पर करता
रह रह कर अपनी मनमानी

भावना की नौका चलती

सैर कराकर हर कोने की
जब आ किनारे पर लगती
तब भी थमता नहीं पानी

जाने क्यों इतना बहता है पानी
अपनी कल-कल में आज रचता
मन में कोई कहानी

~यशवन्त माथुर©


[एक खास दोस्त की फेसबुक फोटो को देख कर 
मेरे मन में आए विचार जिसे उनके कमेन्ट बॉक्स से यहाँ कॉपी-पेस्ट किया है। ]

9 comments:

  1. तरल मन से लिखी कविता.

    ReplyDelete
  2. तरल मन से लिखी कविता.

    ReplyDelete
  3. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार २५ /६ /१३ को चर्चा मंच में राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका वहां हार्दिक स्वागत है ।

    ReplyDelete
  4. भावना की नौका चलती
    सैर कराकर हर कोने की
    जब आ किनारे पर लगती
    तब भी थमता नहीं पानी
    ज्ञान देरी से मिली
    हार्दिक शुभकामनायें

    ReplyDelete
  5. कौन जान पाया पानी की रवानी

    ReplyDelete
  6. पानी का तो प्रकृति है बहना। बस ये प्रवाह कष्टदायी ना हो, इसीलिए संतुलन और सीमाबंधन की ज़रूरत पड़ती है.
    सुन्दर रचना के लिए बधाई।

    ReplyDelete

Popular Posts

+Get Now!