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14 March 2021

सिर्फ प्यास दिखती है....

चित्र:काजल सर की फ़ेसबुक वॉल से साभार 
हलक 
जब सूखता है 
सिर्फ 
प्यास दिखती है... 
जहाँ से आती हैं 
ठंडी हवाएँ 
वहीं 
एक आस दिखती है... 
फिर वह घर 
दुश्मन का ही क्यों न हो 
अंजुली भर जीवन की 
हर लहर खास दिखती है... 
प्यास, 
प्यास ही होती है 
सूखती देह को तो 
हर बाकी 
श्वास दिखती है..
लेकिन अब, 
आधुनिक भारत के लोगों की 
कमजोर नज़रों से 
सारी दुनिया 
'विश्व गुरु' के मूल्यों का 
ह्रास देखती है।   

-यशवन्त माथुर ©
14032021 

4 comments:

  1. हम भारतीय ही स्वयं का मज़ाक उड़ाते हैं , क्या कहें ,
    गंभीर लेखन

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  2. बहुत सुन्दर

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  3. जो विश्वगुरु बनने की क्षमता रखता है, कभी रख सका है या कभी रख सकेगा वह भारत के अलावा कोई हो ही नहीं सकता, सनातन धर्म की नींव यहीं रखी गयी थी, भले ही उस पर कितनी परत पड़ गई हो, सार्थक लेखन !

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