बहारों तुमसे एक तमन्ना है मेरी
मेरे जिस्म के कतरे कतरे पर उनका नाम लिख दो
और उन से कह दो कि
मैं बहुत प्यार करता हूँ उनको.
वो आते हैं रोज़ ख्यालों में ख़्वाबों में
चूम कर चले जाते हैं मेरे अधरों को
मैं फैलाता हूँ अपनी बाहें
उन्हें समेटने को
मगर छिटक कर कहीं दूर चले जाते हैं वो
ए बहारों ज़रा उन से कह देना ये भी एक बात
जाने क्यों इतना सताया करते हैं वो...
बस यही एक आखिरी तमन्ना है ओ बहारों
जिस राह से वो गुजरें वहीँ पे बिछ जाया करूँ मैं.
(मैं मुस्कुरा रहा हूँ..)
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11 October 2010
किसी अनजान के लिए......

10 comments:
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बेहद खूबसूरत प्रस्तुति।
ReplyDeleteबस यही एक आखिरी तमन्ना है ओ बहारों
ReplyDeleteजिस राह से वो गुजरें वहीँ पे बिछ जाया करूँ मैं..बड़ी खूबसूरत बात कही....बधाई. कभी 'शब्द सृजन की ओर' भी आयें.
बहारों तुमसे एक तमन्ना है मेरी
ReplyDeleteमेरे जिस्म के कतरे कतरे पर उनका नाम लिख दो
बहुत ही सुंदर कविता...आखिरी पंक्तियां भी बहुत सुंदर है... इतनी खूबसूरत तमन्ना!!!खुदा खै़र करे...बहुत अच्छी लगी...
बहुत खूबसूरत तमन्ना है।
ReplyDeleteभगवान् करे आपकी यह तमन्ना पूरी हो जाए... सुन्दर पंक्तियाँ...
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर इस बार
एक और आईडिया....
बहुत पसन्द आया
ReplyDeleteहमें भी पढवाने के लिये हार्दिक धन्यवाद
बहुत देर से पहुँच पाया ............माफी चाहता हूँ..
bahut khub pasand aayi aapki rachna
ReplyDeleteI am very much thank full for all who like this specially-Respected Veena ji,Divya ji,Vandana ji,shekhar ji,sanjay ji & Deepti ji.
ReplyDeletei like this..keep it up. tum to pure kavi ban gaye
ReplyDelete@ Meenal---Thank you so much.
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