हम तो हैं मुसाफिर अनजानी राहों के,
ख्वाब देख रहे हैं और चलते जा रहे हैं
पीछे क्या छूटा उसे भूल गए
जो आएगा आगे उसकी परवाह नहीं
होगा जो भी अच्छा तो क़ुबूल कर लेंगे
बुरा जो भी होगा तो झेल लेंगे
कहते तो सदियों से ये लोग आ रहे हैं
कागज़ की कश्ती पे चलते जा रहे हैं
मझधार में आकर तो सिर्फ
साहिल की चाह में
हिचकोले खाती ज़िन्दगी
सिहरन और आह में
बे मुकम्मल है सब कुछ कि
क्या कहें क्या नहीं
चौराहे पे खड़े हैं और सोचे जा रहे हैं
किस राह चलें कि ज़िन्दगी
हसीं लगने लगे
हम तो हैं मुसाफिर अनजानी राहों के
ख्वाब देख रहे हैं और बस चलते ही जा रहे हैं
(मैं मुस्कुरा रहा हूँ..)
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30 October 2010
हम तो हैं मुसाफिर....

13 comments:
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3/10
ReplyDeleteभाव हैं लेकिन रचनात्मकता का अभाव
यश अंकल आपका धन्यवाद आप डरिये मत मै उनलोगों को डरूंगी जो मुझे कैंडी नहीं देंगे :)
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना ........
ReplyDeleteहम तो हैं मुसाफिर अनजानी राहों के
ख्वाब देख रहे हैं और बस चलते ही जा रहे हैं ----
बस यू ही चलना है मंझिल आही जायेगी ....
यशवंत भाई, असली राही वही है, जो मंजिल की परवाह किये बिना चलता रहे।
ReplyDelete---------
सुनामी: प्रलय का दूसरा नाम।
चमत्कार दिखाऍं, एक लाख का इनाम पाऍं।
.
ReplyDeleteहम तो हैं मुसाफिर अनजानी राहों के,
ख्वाब देख रहे हैं और चलते जा रहे हैं
पीछे क्या छूटा उसे भूल गए
जो आएगा आगे उसकी परवाह नहीं...
Bahut sundar rachna !
.
जी कुछ परवाह मत कीजिये और बढते चले चलिए, जिंदगी एक न एक दिन हसीं होनी ही है. आखिर कब तक हमसे खफा रह पायेगी.
ReplyDeleteपीछे क्या छूटा उसे भूल गए
ReplyDeleteजो आएगा आगे उसकी परवाह नहीं
होगा जो भी अच्छा तो क़ुबूल कर लेंगे
बुरा जो भी होगा तो झेल लेंगे
यह हुई ना बात..... बहुत प्रेरणादायी और सकारात्मक सोच.... अच्छा लगा पढ़कर
बहुत सुन्दर रचना ........
ReplyDeleteचरेवैती !चरेवैती !चरेवैती !
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आने और इस रचना को पसंद करने के लिए आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार.
ReplyDelete@चिन्मयी ठीक है मैं नहीं डरूंगा और जब तुम मिलोगी तब ढेर सारी कैण्डीज़ भी दूंगा.:)
ख्वाब भी कई बार रास्ता बताते हैं मंजिल तक पहुँचने का..चलते रहीये ..रचना में भाव अच्छे हैं.
ReplyDeleteहम तो हैं मुसाफिर अनजानी राहों के
ReplyDeleteख्वाब देख रहे हैं और बस चलते ही जा रहे हैं
chalte rahen....
gati ka paryay si sundar rachna!
बेहद गहरे अर्थों को समेटती एक खूबसूरत और भाव प्रवण रचना. आभार.
ReplyDeleteसादर,
डोरोथी.