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22 November 2010

नए दौर की ओर

शुरू हो गया
फिर एक नया दौर
कुछ आशाओं का
महत्वाकांक्षाओं का
कुछ पाने का
कुछ खोने का
नीचे गिरने का
उठ कर संभलने  का
उसी राह पर
एक नयी चाल चलने का

ये नया दौर
क्या गुल खिलायेगा
कितने सपने
सच कर दिखाएगा
दिल के बुझे चरागों को
क्या नयी रोशनी दिखाएगा

नहीं पता.

नहीं पता -
क्या होगा
क्या नहीं
वक़्त की कठपुतली बना
मैं चला जा रहा हूँ
एक नए दौर की ओर

नए दौर की ओर
जहाँ
पिछले दौर की तरह
चलता रह कर
फिर से इंतज़ार करूँगा
एक और
नए दौर का.





18 comments:

  1. यह क्रम तो निरंतर चलता ही रहता है....
    संघर्षरत कदमों को सदा नयी उर्जा मिलती रहे!!!
    शुभकामनायें!!!!

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  2. वक़्त की कठपुतली बना
    मैं चला जा रहा हूँ
    एक नए दौर की ओर

    हम सब वक्त की हाथों की कठपुतली ही तो हैं....फिर भी विश्वास ही वह मजबूत कड़ी है जो हमारे विचारों को दृढ़ बनाती है। इसे कही खोने मत देना।...सुंदर रचना
    यह विश्वास आपके दिल में पर्वत की तरह अटल रहे इन्हीं शुभकामनाओं के साथ आपको जन्मदिन की भी ढेर सारी बधाई और यही दुआ है कि आप नित नई ऊंचाइयों को छुएं और अपना व अपने मां-पापा का नाम रोशन करें...

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  3. प्रिय यशवंत ,
    जैसाकि,वीनाजी ने आशा व्यक्त की है तुम्हें सदैव आत्म -विश्वास बनाय रखना होगा तथा भय व प्रशंसा से परे अपने कर्म में जुटे रह कर सफलता प्राप्त करना होगा -यही हमारा आशीर्वाद भी है और उम्मीद भी.

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  4. जिंदगी के हर दौर में गतिमान और गतिशील रहने में ही जीवन की सार्थकता छुपी हुई है. गहन संवेदनाओं की बेहद मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति. आभार.
    सादर
    डोरोथी.

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  5. यह क्रम ही जीवन है..... आशावादी सोच से परिपूर्ण पंक्तियाँ

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  6. बस सकारात्मक सोच लिये चलते रहें बदलाव तो प्रकृ्ति का नियम है। उमदा रचना।शुभकामनायें।

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  7. आदरणीया अनु जी वीना जी,पापा जी,डोरोथी जी,मोनिका जी एवं निर्मला जी....आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद.

    वीना जी...आपने मेरा जन्मदिन याद रखा .....मैं उम्मीद करता हूँ कि आप का आशीर्बाद और स्नेह आगे भी यूँ ही बना रहेगा.

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  8. आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 29 -12 - 2011 को यहाँ भी है

    ...नयी पुरानी हलचल में आज... जल कर ढहना कहाँ रुका है ?

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  9. वाह सर...बहुत बढ़िया..
    बेहतरीन ....
    सादर.

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  10. सकारात्मक सोच के साथ लिखी गई रचना ....

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  11. ते तो एक सिलसिला है अनवरत

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  12. फिर से इंतज़ार करूँगा
    एक और
    नए दौर का.

    इन्तजार कब ख़त्म होता है...
    बढ़िया रचना...

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  13. बहुत बढ़िया, कदम बढ़ेंगे तभी तो मंजिल मिलेगा.

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  14. आद्योपांत संवाद की छटा प्रभावित करती है
    भूत-वर्तमान-भविष्य विषय पर सुंदर प्रस्तुति के लिए बधाई यशवंत भाई

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  15. बहुत सुंदर .... फिर से इंतज़ार करूँगा
    एक और
    नए दौर का.......चलते रहिये ...सबको चलाते रहिये .....चलना ही जिंदगी है

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  16. नया दौर अवश्य खुशियोंभरा होगा । सुंदर रचना ।

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