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04 May 2011

जिंदगी ऐसे भी जी ही जाती है

अक्सर वो दस बारह साल के
नन्हे कदम
वो  किशोर
वो युवा
लेते हैं जो आनंद
अभावों का
भावविहीन हो कर

जिंदगी की ज़द्दोज़हद में
वो घिसटते दिखते हैं
आते जाते हर रास्ते पर 
हाईवे पर
रेल की पटरियों के किनारों पर
हर चौराहे पर
फुटपाथ पर
हर मोड़ पर

मगर फिर भी कहीं
एक मासूम सी मुस्कराहट
नज़र आ ही जाती है
उनकी भाषा भी
कुछ समझ आ ही जाती है

काले चश्मों के पीछे
धुएँ में उड़ती जिंदगी
एश ट्रे में गिरती राख भी
कभी शरमा ही जाती है

एक जिंदगी
ऐसे भी जी ही जाती है.


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14 comments:

  1. काले चश्मों के पीछे
    धुएँ में उड़ती जिंदगी
    एश ट्रे में गिरती राख भी
    कभी शरमा ही जाती है
    ....
    बहुत संवेदनशील सुन्दर प्रस्तुति...

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  2. एक जिंदगी
    ऐसे भी जी ही जाती है.
    सच कहती है यह पंक्तियां ।

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  3. jindgi aise bhi ji jati hai... very nice title aur bhut khubsurat rachna...

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  4. काले चश्मों के पीछे
    धुएँ में उड़ती जिंदगी
    एश ट्रे में गिरती राख भी
    कभी शरमा ही जाती है
    बहुत खूब

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  5. bahut badhiya drishti..........

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  6. आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 19- 01 -20 12 को यहाँ भी है

    ...नयी पुरानी हलचल में आज... जिंदगी ऐसे भी जी ही जाती है .

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  7. निशब्द हूँ पढ़कर!

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  8. वाह!!!!!!!
    बेहतरीन रचना...
    बहुत खूब!!

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  9. ह्रदय के कसक को जुबान देती रचना बेहद मार्मिक है...

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  10. हां जी ....एक ऐसी भी जिंदगी जी जाती हैं .....
    जो रोज अपने ही आस पास बिखर सी जाती हैं ...

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  11. Bahut umda likha hai sir aapne.. bahut bhavpurn prastuti..
    Saadar..

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  12. हा जी ऐसा भी होता है
    बेहतरीन रचना....

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  13. ज़िंदगी कैसे न कैसे जी ही जाती है ...सार्थक रचना

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