प्रतिलिप्याधिकार/सर्वाधिकार सुरक्षित ©

इस ब्लॉग पर प्रकाशित अभिव्यक्ति (संदर्भित-संकलित गीत /चित्र /आलेख अथवा निबंध को छोड़ कर) पूर्णत: मौलिक एवं सर्वाधिकार सुरक्षित है।
यदि कहीं प्रकाशित करना चाहें तो yashwant009@gmail.com द्वारा पूर्वानुमति/सहमति अवश्य प्राप्त कर लें।

29 May 2011

सोचा न था--(Post number-200)

सोचा न था
यूँ  चलते चलते
कहीं अचानक
मिल जाओगे
और दिखा दोगे
अपना असली चेहरा

मैं तो मोहित था
तुम्हारे रूप पर
कितनी कल्पनाएँ की थीं
कितने  भ्रम में
जोड़ रहा था
तिनका तिनका
ख़्वाबों को
बुन रहा था
एहसासों  को
या उलझा रहा था
मन के नेह को ?

सोचा  न था
चेहरे के पीछे
तुम एक और
चेहरा लिए घूम रहे हो
एक काला
क्रूर चेहरा
जिससे  नफरत है ..
सख्त नफरत है ...
मुझको

गले में
दोगलेपन की माला डाले
यूँ खेलोगे मुझ से
सोचा न था.


21 comments:

  1. बहुत खूब | एक तो सुन्दर कविता उस पर कानों तक पहुंचता मधुर संगीत यकीनन कविता की खूबसूरती और बढ़ा रहा है |

    ReplyDelete
  2. सच से साक्षात्‍कार आखिर हो ही गया। चलो एक तरह से ये भी अच्‍छा रहा। क्‍योंकि सच जितनी जल्‍दी समझ में आ जाए, उतना कम पीडा देता है।

    200वीं रचना की हार्दिक बधाई।

    ---------
    गुडिया रानी हुई सयानी...
    सीधे सच्‍चे लोग सदा दिल में उतर जाते हैं।

    ReplyDelete
  3. गले में
    दोगलेपन की माला डाले
    यूँ खेलोगे मुझ से
    सोचा न था.

    मुखौटे पहने इस समाज में पीछे का चेहरा दिखाई नहीं देता शायद , अच्छे शब्द बधाई

    ReplyDelete
  4. bhut hi sahi kaha apne.. ham sabhi kahi na kahi isse parchit hote rahte hai...

    ReplyDelete
  5. इस समाज में अधिकाश लोग दोहरे चरित्र के ही हैं...सामने कुछ और पीछे कुछ और....

    ReplyDelete
  6. 100 % truth
    people these days wears a kind of mask, you never know who is hiding what.Environment is overflowing with imitators and mimickers... Reality lives somewhere hidden.

    Nice post again !!

    ReplyDelete
  7. दोगलेपन की माला..

    bade mahatpoorn shabd hain.... Bdhai..

    ReplyDelete
  8. 200 वीं पोस्ट की बधाई।
    कविता के भाव अच्छे लगे।
    विचार

    ReplyDelete
  9. 200वीं पोस्ट की बधाई...

    ReplyDelete
  10. मेरे ख्याल से तो हर इंसान दो चेहरे ले कर घूमता है.. बस पहचान नहीं आता और उसे ही कला कहते हैं..
    सुन्दर रचना...

    सुख-दुःख के साथी पर आपके विचारों का इंतज़ार है..
    आभार

    ReplyDelete
  11. यशवंत जी बहुत भावपूर्ण अभिव्यक्ति प्रस्तुत की है आपने.२०० वीं पोस्ट की बहुत बहुत बधाई.

    ReplyDelete
  12. सबसे पहले २००वी पोस्ट के लिए बधाई .और अब बधाई इतनी सुंदर कविता के लिए ...लिखते लिखते ...देखते देखते ही कुछ बातें समझ में आतीं हैं ...जो होतीं तो हमेशा से हैं पर समझ में देर से आतीं हैं ...!!

    ReplyDelete
  13. आदरणीया उर्मी चक्रवर्ती जी ने मेल द्वारा यह टिप्पणी भेजी है-
    ------------------------------------------------------------------------------------

    यशवंत जी

    मुझे आपका नया पोस्ट बहुत अच्छा लगा! मैंने काफी बार कोशिश की टिप्पणी देने की पर असमर्थ रहा इसलिए मेल द्वारा टिप्पणी भेज रही हूँ!
    २०० वी पोस्ट पूरे होने कि हार्दिक बधाइयाँ!
    बहुत सुन्दर शब्दों से सुसज्जित की हुई रचना प्रशंग्सनीय है! उम्दा प्रस्तुती!

    उर्मी

    ReplyDelete
  14. कविताओं के दोहरे शतक पर हार्दिक शुभकामनायें .
    प्रस्तुत कविता में जो भाव आपने व्यक्त किये हैं शायद हम सभी का सामना इस प्रकार की परस्थितियों से जीवन में होता रहता है .एक फिल्म का गाना भी तो है -दिल को देखो चेहरा न देखो .चेहरों ने लाखों को लूटा ''

    ReplyDelete
  15. बहुत ही बेहतरीन अभियक्ति.... दोहरे शतक के लिए बहुत-बहुत बधाई!

    प्रेमरस.कॉम

    ReplyDelete
  16. रचना बहुत बढ़िया है!
    200वीं पोस्ट की बधाई!

    ReplyDelete
  17. संजय भास्कर जी की मेल द्वारा प्राप्त टिप्पणी
    ----------------------------------------------------------
    यशवंत भाई
    नमस्कार
    मैं आपके ब्लॉग पर टिपण्णी नहीं कर पा रहा हूँ आपका टिपण्णी बॉक्स ही नहीं खुल रहा है
    इसलिए मेल द्वारा टिप्पणी भेज रहा हूँ!
    यशवंत भाई जवाब नहीं आपका
    बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति प्रस्तुत की है आपने दोहरे शतक की बहुत बहुत बहुत बधाई.

    ReplyDelete
  18. आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद!

    ReplyDelete
  19. २००वीं कविता के लिये बधाई !

    ReplyDelete
+Get Now!