प्रतिलिप्याधिकार/सर्वाधिकार सुरक्षित ©

इस ब्लॉग पर प्रकाशित अभिव्यक्ति (संदर्भित-संकलित गीत /चित्र /आलेख अथवा निबंध को छोड़ कर) पूर्णत: मौलिक एवं सर्वाधिकार सुरक्षित है।
यदि कहीं प्रकाशित करना चाहें तो yashwant009@gmail.com द्वारा पूर्वानुमति/सहमति अवश्य प्राप्त कर लें।

11 July 2012

दोनों वक़्त का चाँद

[Mobile Photo:10/07/2012]



  











ये चाँद भी
बदसूरत है
बेहयाई से दिखता है
दोनों पक्षों में
रात में
और दिन में भी

बिना सोचे
बिना समझे
'फिकरों'* की फिकर
किये बगैर
ये चाँद
करता है परिक्रमा
मेरे साथ
मेरी सोच की

दुनिया की।

*फिकरा =ताना(व्यंग्य)


©यशवन्त माथुर©

26 comments:

  1. फिकरे बजी की फिकर, नहीं करे यशवंत |
    किस सर का सर है सखे, कौन चाँद श्रीमंत ||

    ReplyDelete
  2. FIKRON SE DAR JIYE TO PHIR KYA JIYE,
    APNI AUKAT PAR JIYE,JINA USI KA NAM HAE

    ReplyDelete
  3. चाँद हर हाल में खूबसूरत होता है ... शुभकामनाये

    ReplyDelete
  4. apane aap ko swikarana hi apne mein sampurnata darshta hai....achhi abhivykati...yashwant ji..
    ( server slow hone se roman mein likhna majburi ho jati hai..iske liye kshama prathi hoon)

    ReplyDelete
  5. मेरे भी चाँद निकल रहे है ... यसवंत भाई

    ReplyDelete
  6. आज हमने भी एक कविता लिखी चाँद पर....
    बड़ा फर्क है मगर तुम्हारे और हमारे चाँद में :-)
    हमारा निकले तो खुशी..तुम्हारा निकले तो गम..
    सस्नेह.

    ReplyDelete
  7. आपकी पोस्ट कल 12/7/2012 के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
    कृपया पधारें

    चर्चा - 938 :चर्चाकार-दिलबाग विर्क

    ReplyDelete
  8. वास्तव में ..बहुत ही अच्छी ... फिकरों की फ़िक्र ....के बगैर ...इससे बड़ी बात और क्या हो सकती है ....

    ReplyDelete
  9. चाँद चाँद फर्क होता, निकलता दोनों सम
    एक निकलने में हो खुशी,दूजे में हो गम,,,,,,,

    बहुत सुंदर प्रस्तुति,,,,

    RECENT POST...: राजनीति,तेरे रूप अनेक,...

    ReplyDelete
  10. नयी सोच.....
    एक अलग चाँद जो बदसूरत है...

    ReplyDelete
  11. आपके इस जज्बे को सलाम .... !
    दूसरों पर फिकरा कसना तो बहुत आसान होता .... !

    ReplyDelete
  12. 'chaand' ke liye Yeh nazreeya bhii khub raha!
    :)

    ReplyDelete
  13. चाँद चाँद में फर्क है,निकलते दोनों सम
    एक निकले में खुशी हो, दूजे में हो गम,,,,,,,

    बहुत सुंदर प्रस्तुति,,,,

    RECENT POST...: राजनीति,तेरे रूप अनेक,...

    ReplyDelete
  14. वाह ! बहुत सुंदर सोच जो चाँद को भी साथ लिये जाती है !

    ReplyDelete
  15. ये चाँद आता भी तो बिना पूछे है और फिर जाता भी नहीं तमाम कोशिश के बावजूद ...

    ReplyDelete
  16. चाँद चमकती है तभी, जब यौवन ढल जाय।
    पीले पत्तों में नहीं, हरियाली आ पाय।।

    ReplyDelete
  17. यशवंत जी, बहुत खूब....
    दोनों चाँद की खूब विवेचना की हा आपने | :)

    ReplyDelete
  18. बहुत अच्छा व्यंग |कुछ भी हो दौनों में कुछ तो समानता है है |
    आशा

    ReplyDelete
  19. इस चाँद ने क्या दिमाग पाया है!:)

    ReplyDelete
+Get Now!