ज़िंदगी के पहलू बहुत शिद्दत से उकेरे हैं ....बहुत भाव प्रबल रचना बनी है ...!!बधाई एवम शुभकामनायें...यशवंत .
बेहतरीन अंदाज़..... सुन्दरअभिव्यक्ति........
बहुत सुन्दर यशवंत.....बहुत सुन्दर ख़याल............सस्नेहअनु
बहुत सुदर रचना
जिंदगी ये भी है कि ,महलों की बदज़ुबानी के साये तलेबगल की बस्ती में, बाअदब गुलाब महकते हैं। ......वाह: बहुत भावपूर्ण रचना..बहुत सुन्दर...यशवंत
जिंदगी ये भी है कि ,महलों की बदज़ुबानी के साये तलेबगल की बस्ती में, बाअदब गुलाब महकते हैं।लाज़वाब रचना... बधाई
बहुत खूब!
जिंदगी ये भी है.... :)
हूँ उलझन में बहुत ,जलते चराग देख कररोशन हैं अरमां कहीं ;कहीं सिसकते राख़ बन कर बहुत उम्दा....
ज़िन्दगी के इतने सारे रंग समेट लिए ......... शुभकामनाएं !
जिंदगी ये भी है कि ,महलों की बदज़ुबानी के साये तलेबगल की बस्ती में, बाअदब गुलाब महकते हैं। बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति .... !
सुन्दर भाव लिए रचना यशवंत जी..
वाह ... बेहतरीन भाव
bahut sundar rachna
हूँ उलझन में बहुत ,जलते चराग देख कर रोशन हैं अरमां कहीं ;कहीं सिसकते राख़ बन कर Bahut sundar rachna...
हूँ उलझन में बहुत ,जलते चराग देख कर रोशन हैं अरमां कहीं ;कहीं सिसकते राख़ बन कर bahut sundar rachna..
भिन्न भिन्न रूपों में साँस लेती ज़िंदगी...सुंदर प्रस्तुति !
जिंदगी ये भी है कि, सीख कर ककहरालिख दूँ इबारत, एक मुकम्मल तस्वीर कीजिंदगी ये भी है कि, खाक छान कर गलियों कीजला कर शाम को चूल्हा, तस्वीर देखूँ तकदीर कीसंगीत और शब्दों का जादू एक साथ .....वाह ....!!
वाह बहुत खूबसूरत अहसास हर लफ्ज़ में आपने भावों की बहुत गहरी अभिव्यक्ति देने का प्रयास किया है.बधाई आपको.सादर वन्दे...बहुत बहुत शुभकामनाएं ।http://madan-saxena.blogspot.in/http://mmsaxena.blogspot.in/http://madanmohansaxena.blogspot.in/
सुन्दर अभिव्यक्ति .....यशवंत जी
जिंदगी ये भी है कि ,महलों की बदज़ुबानी के साये तलेबगल की बस्ती में, बाअदब गुलाब महकते हैं। sach hai, bahut khoob likha hai. shubhkamnayen
ज़िंदगी के पहलू बहुत शिद्दत से उकेरे हैं ....बहुत भाव प्रबल रचना बनी है ...!!
ReplyDeleteबधाई एवम शुभकामनायें...यशवंत .
बेहतरीन अंदाज़..... सुन्दर
ReplyDeleteअभिव्यक्ति........
बहुत सुन्दर यशवंत.....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ख़याल............
सस्नेह
अनु
बहुत सुदर रचना
ReplyDeleteजिंदगी ये भी है कि ,महलों की बदज़ुबानी के साये तले
ReplyDeleteबगल की बस्ती में, बाअदब गुलाब महकते हैं। ......वाह: बहुत भावपूर्ण रचना..बहुत सुन्दर...यशवंत
जिंदगी ये भी है कि ,महलों की बदज़ुबानी के साये तले
ReplyDeleteबगल की बस्ती में, बाअदब गुलाब महकते हैं।
लाज़वाब रचना... बधाई
बहुत खूब!
ReplyDeleteजिंदगी ये भी है.... :)
ReplyDeleteहूँ उलझन में बहुत ,जलते चराग देख कर
ReplyDeleteरोशन हैं अरमां कहीं ;कहीं सिसकते राख़ बन कर
बहुत उम्दा....
ज़िन्दगी के इतने सारे रंग समेट लिए ......... शुभकामनाएं !
ReplyDeleteजिंदगी ये भी है कि ,महलों की बदज़ुबानी के साये तले
ReplyDeleteबगल की बस्ती में, बाअदब गुलाब महकते हैं।
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति .... !
सुन्दर भाव लिए रचना यशवंत जी..
ReplyDeleteवाह ... बेहतरीन भाव
ReplyDeletebahut sundar rachna
ReplyDeleteहूँ उलझन में बहुत ,जलते चराग देख कर
ReplyDeleteरोशन हैं अरमां कहीं ;कहीं सिसकते राख़ बन कर
Bahut sundar rachna...
हूँ उलझन में बहुत ,जलते चराग देख कर
ReplyDeleteरोशन हैं अरमां कहीं ;कहीं सिसकते राख़ बन कर
bahut sundar rachna..
भिन्न भिन्न रूपों में साँस लेती ज़िंदगी...सुंदर प्रस्तुति !
ReplyDeleteजिंदगी ये भी है कि, सीख कर ककहरा
ReplyDeleteलिख दूँ इबारत, एक मुकम्मल तस्वीर की
जिंदगी ये भी है कि, खाक छान कर गलियों की
जला कर शाम को चूल्हा, तस्वीर देखूँ तकदीर की
संगीत और शब्दों का जादू एक साथ .....
वाह ....!!
वाह बहुत खूबसूरत अहसास हर लफ्ज़ में आपने भावों की बहुत गहरी अभिव्यक्ति देने का प्रयास किया है.बधाई आपको.सादर वन्दे...
ReplyDeleteबहुत बहुत शुभकामनाएं ।
http://madan-saxena.blogspot.in/
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सुन्दर अभिव्यक्ति .....यशवंत जी
ReplyDeleteजिंदगी ये भी है कि ,महलों की बदज़ुबानी के साये तले
ReplyDeleteबगल की बस्ती में, बाअदब गुलाब महकते हैं।
sach hai, bahut khoob likha hai.
shubhkamnayen