लिख दूँ इबारत, एक मुकम्मल तस्वीर की
जला कर शाम को चूल्हा, तस्वीर देखूँ तकदीर की
रोशन हैं अरमां कहीं ;कहीं सिसकते राख़ बन कर
जिंदगी ये भी है कि ,महलों की बदज़ुबानी के साये तले
बगल की बस्ती में, बाअदब गुलाब महकते हैं।
©यशवन्त माथुर©
बहुत ही साधारण लिखने वाला एक बहुत ही साधारण इंसान जिसने 7 वर्ष की उम्र से ही लिखना शुरू कर दिया था। वाणिज्य में स्नातक। अच्छा संगीत सुनने का शौकीन। ब्लॉगिंग में वर्ष 2010 से सक्रिय। एक अग्रणी शैक्षिक प्रकाशन में बतौर हिन्दी प्रूफ रीडर 3 वर्ष का कार्य अनुभव।
ज़िंदगी के पहलू बहुत शिद्दत से उकेरे हैं ....बहुत भाव प्रबल रचना बनी है ...!!
ReplyDeleteबधाई एवम शुभकामनायें...यशवंत .
बेहतरीन अंदाज़..... सुन्दर
ReplyDeleteअभिव्यक्ति........
बहुत सुन्दर यशवंत.....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ख़याल............
सस्नेह
अनु
बहुत सुदर रचना
ReplyDeleteजिंदगी ये भी है कि ,महलों की बदज़ुबानी के साये तले
ReplyDeleteबगल की बस्ती में, बाअदब गुलाब महकते हैं। ......वाह: बहुत भावपूर्ण रचना..बहुत सुन्दर...यशवंत
जिंदगी ये भी है कि ,महलों की बदज़ुबानी के साये तले
ReplyDeleteबगल की बस्ती में, बाअदब गुलाब महकते हैं।
लाज़वाब रचना... बधाई
बहुत खूब!
ReplyDeleteजिंदगी ये भी है.... :)
ReplyDeleteहूँ उलझन में बहुत ,जलते चराग देख कर
ReplyDeleteरोशन हैं अरमां कहीं ;कहीं सिसकते राख़ बन कर
बहुत उम्दा....
ज़िन्दगी के इतने सारे रंग समेट लिए ......... शुभकामनाएं !
ReplyDeleteजिंदगी ये भी है कि ,महलों की बदज़ुबानी के साये तले
ReplyDeleteबगल की बस्ती में, बाअदब गुलाब महकते हैं।
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति .... !
सुन्दर भाव लिए रचना यशवंत जी..
ReplyDeletevery nice
ReplyDeleteवाह ... बेहतरीन भाव
ReplyDeletebahut khub
ReplyDeletebahut sundar rachna
ReplyDeleteहूँ उलझन में बहुत ,जलते चराग देख कर
ReplyDeleteरोशन हैं अरमां कहीं ;कहीं सिसकते राख़ बन कर
Bahut sundar rachna...
हूँ उलझन में बहुत ,जलते चराग देख कर
ReplyDeleteरोशन हैं अरमां कहीं ;कहीं सिसकते राख़ बन कर
bahut sundar rachna..
भिन्न भिन्न रूपों में साँस लेती ज़िंदगी...सुंदर प्रस्तुति !
ReplyDeleteजिंदगी ये भी है कि, सीख कर ककहरा
ReplyDeleteलिख दूँ इबारत, एक मुकम्मल तस्वीर की
जिंदगी ये भी है कि, खाक छान कर गलियों की
जला कर शाम को चूल्हा, तस्वीर देखूँ तकदीर की
संगीत और शब्दों का जादू एक साथ .....
वाह ....!!
वाह बहुत खूबसूरत अहसास हर लफ्ज़ में आपने भावों की बहुत गहरी अभिव्यक्ति देने का प्रयास किया है.बधाई आपको.सादर वन्दे...
ReplyDeleteबहुत बहुत शुभकामनाएं ।
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सुन्दर अभिव्यक्ति .....यशवंत जी
ReplyDeleteजिंदगी ये भी है कि ,महलों की बदज़ुबानी के साये तले
ReplyDeleteबगल की बस्ती में, बाअदब गुलाब महकते हैं।
sach hai, bahut khoob likha hai.
shubhkamnayen