मन को लुभाने वाली
संगीत की धुन
उस वक़्त
अजीब सी लगती है
जब कानों में गूंजने वाली
मीठी स्वरलहरियाँ
राह से भटक कर
धर लेती है रूप
फटे बांस की
आवाज़ जैसा :)
©यशवन्त माथुर©
बहुत ही साधारण लिखने वाला एक बहुत ही साधारण इंसान जिसने 7 वर्ष की उम्र से ही लिखना शुरू कर दिया था। वाणिज्य में स्नातक। अच्छा संगीत सुनने का शौकीन। ब्लॉगिंग में वर्ष 2010 से सक्रिय। एक अग्रणी शैक्षिक प्रकाशन में बतौर हिन्दी प्रूफ रीडर 3 वर्ष का कार्य अनुभव।
आ .. हा बहुत खूब .. :)
ReplyDeleterecent poem : मायने बदल गऐ
ये तभी होता है जब मन खट्टा होता है ....
ReplyDeleteदिल में दर्द हो तो , हर बात बुरी लगती है।
घर में अर्थी हो तो , बारात बुरी लगती है ..
राह से भटकी हर चीज बिगड़ ही जाती है...
ReplyDeleteचाहे वो स्वरलहरिया हो या मनुष्य ....
गहन भाव लिए रचना..
मन प्रसन्न न हो तो कुछ भी अच्छा नही लगता...शुभकामनाएं.यशवन्त..
ReplyDeleteयहाँ सब कुछ बदल जाता है..
ReplyDeleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteबहुत ही खुबसूरत....
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