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29 August 2013

नहीं चाहता समझना

नहीं चाहता समझना
क्या है सच
और उसके पीछे का
मर्म
मैं खुश हूँ
खुद के ऊपर छाए
झूठ के आवरण के भीतर
जहां महफूज है
मेरा मन
टेक लगा कर
वर्तमान के सिरहाने पर।

~यशवन्त माथुर©

7 comments:

  1. बहुत बढ़िया. यदि कोई झूठ के आवरण के नीचे, वर्तमान के सिरहाने पर सिर रख कर खुश हो तो ज़ाहिर है वह अपने अंतर्विरोधों से संतुष्ट है. ऐसी स्थिति से हम सभी ग़ुज़रते हैं.

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  2. बेहतरीन अंदाज़.....

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  3. वर्तमान में रहना भी ज़रूरी है।

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  4. बहुत सुन्दर भाव !

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