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03 July 2015

मन की बात

कई तरह के जज़्बात
कई तरह की बात
अक्सर
मन की राहों पर 
मिल कर
बुन लेते हैं
कुछ सपने
फिर नये
चौराहों पर
मिलने को
हार और जीत के
किस्से कहने को ।

-

मैं भी
करता हूँ
खुद से ही
अकेले में
कुछ मन की बात
कभी
कागज़ पर लिख कर
फाड़ देता हूँ
जला देता हूँ
अनकहे को
अनकहा ही
बना देता हूँ
बस कुछ देर तक
और फिर
वापस आ जाता हूँ
अपने ही दौर में । 

~यशवन्त यश©

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