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04 July 2015

दोहराव

यह मुमकिन है
कि कुछ बातें
रह जाती हैं
कहने से
यह मुमकिन है
कि कुछ बातें
रह जाती हैं
सुनने से
और फिर भी
कुछ बातें
दोहराती हैं
खुद को
एक नहीं
कई बार
बार-बार
अपने पहले जैसे
रूपों में
आती रहती हैं
सामनेक्योंकि
यह दोहराव ही
जीवन है
और 
जीवन का
अंग है।

~यशवन्त यश©

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