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12 July 2012

मंज़िल के पार

चित्र साभार :http://latimesblogs.latimes.com
















चाहे -अनचाहे
इस दुनिया मे आने के बाद
अब 
धधक रहा है ज्वालामुखी 
'उनकी' अपेक्षाओं का
अरमानों का
और मेरे
अनगिने सपनों का

वक़्त की बुलेट ट्रेन पर
शुरू हो चुकी है
मेरी प्रगति यात्रा

अब बस इंतज़ार है
अपेक्षाओं और सपनों के
ज्वालामुखी के फटने का
जिससे निकलने वाला
फूलों का लावा
अपनी खुशबू की
चपेट मे लेगा  
सारी दुनिया को

महकी हुई हवा
बहक कर छूएगी मुझे 
और मेरा नाम लेकर
कहेगी
आ ले चलूँ तुझे
तेरी मंज़िल के पार!
 

[उनकी=माता-पिता की 
मैं या मेरी =एक छोटी लड़की जो यहाँ अपनी बात कह रही है ]
 
©यशवन्त माथुर©

30 comments:

  1. अनुपम भाव लिये हुये बेहतरीन प्रस्‍तुति।

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  2. वाह ... बहुत खूब...अति सुंदर रचना के लिए बधाई

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  3. आ ले चलूँ तुझे
    तेरी मंज़िल के पार!

    Bohot hi sundar...

    ReplyDelete
  4. वक़्त की बुलेट ट्रेन पर
    शुरू हो चुकी है
    मेरी प्रगति यात्रा

    अब बस इंतज़ार है
    अपेक्षाओं और सपनों के
    ज्वालामुखी के फटने का
    जिससे निकलने वाला
    फूलों का लावा
    अपनी खुशबू की
    चपेट मे लेगा
    सारी दुनिया को


    bahut sunder...

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  5. जारी रखिये अपनी प्रगति यात्रा... बहुत सुन्दर भाव... शुभकामनाये

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  6. आमीन!:-)
    सुंदर प्रस्तुति !

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  7. यह प्रगति यात्रा सफल हो
    शुभकामनाये...
    बहुत सुन्दर रचना,,,,
    :-)

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  8. महकी हुई हवा
    बहक कर छूएगी मुझे
    और मेरा नाम लेकर
    कहेगी
    आ ले चलूँ तुझे
    तेरी मंज़िल के पार! उम्मीद की बेहतरीन अभिवयक्ति.....

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  9. गहन अभिव्यक्ति .... लड़कियों के मन के भावों को सार्थक शब्द दिये हैं

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  10. बच्चों पर पढ़ाई का कितना दबाव है!

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  11. बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ..

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  12. वाह बहुत खूब ....सादर

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  13. सुंदर भावों में बात ढली है, उसमें छिपे भाव एक नया सन्देश देते हें.

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  14. खूबसूरत अभिव्यक्ति

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  15. सुन्दर ख्याल ......!

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  16. छोटी लड़की के मन की खूबसूरत उड़ान !!!

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  17. बहुत खूब .... !
    बहुत सुन्दर अभिव्यक्ती .... :)

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  18. सुंदर भावनाओं से कविता भर दी आपने. बहुत बढ़िया.

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  19. बेहतरीन अभिव्यक्ति

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  20. फूलों का लावा
    अपनी खुशबू की
    चपेट मे लेगा
    सारी दुनिया को
    -
    -
    आ ले चलूँ तुझे
    तेरी मंज़िल के पार!

    बहुत सुन्दर कविता
    बेहतरीन अभिव्यक्ति
    आभार

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  21. सुन्दर भावों की मासूम सी उड़ान ..

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  22. बहुत सुन्दर रचना यशवंत.....
    जाने कैसे पढ़ने से रह गयी थी ये..
    (विलम्ब के लिए क्षमा)
    सस्नेह
    अनु

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  23. अति सुन्दर और भावपूर्ण।

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  24. bachchi ke man ke bhaavon ko bahut hi pyare dhang se prastut kiya hai.

    shubhkamnayen

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