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23 July 2012

वादी हूँ

आज कल वाद और वादी होने  का बड़ा चलन है ,लोग सच को स्वीकार करना नहीं चाहते,ज़मीन से जुड़ी बातों को समझना नहीं चाहते। प्रस्तुत पंक्तियाँ एक प्रवासी फेसबुकिया मार्क्सवादी की सोच  से प्रेरित हैं और इन शब्दों मे उन्हीं की सोच को दर्शाने का प्रयास किया है; फिर भी पाठकों से अनुरोध है कि इसे सिर्फ एक रचना की तरह से पढ़ें और इसके अर्थों में न जाएँ। 


है सोच संकुचित पर निस्संकोच प्रगतिवादी हूँ
शोषकों का हितैषी ,सदोष जनवादी हूँ 
वादी हूँ, फरियादी हूँ, लेनिन-मार्क्सवादी हूँ
हूँ एक लकीर का फकीर ,उन्मादी- रूढ़ीवादी हूँ
चाट हूँ कट्टरता की,घनघोर जातिवादी हूँ
जेपी नहीं एपी हूँ ,असली विघटनवादी हूँ
राम राज को गाली देता,फर्जी गांधीवादी हूँ
दूर देश से देता लेक्चर,सच्चा बकवादी हूँ
मानो या न मानो मुझ को,कागजी राष्ट्रवादी हूँ
सिद्धांतों की ऐसी तैसी ,लेकिन मार्क्सवादी हूँ

©यशवन्त माथुर©

23 comments:

  1. वाह ... बेहतरीन

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  2. मानो या न मानो मुझ को,कागजी राष्ट्रवादी हूँ
    सिद्धांतों की ऐसी तैसी ,लेकिन मार्क्सवादी हूँ

    समझने वाले समझ गए न समझे वो अनारी हैं . आपने पूरी कथा विस्तार से बतला दी

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  3. जैसे भी पढ़ा...उन महाशय की भावनाएँ और उनके लिए तुम्हारे विचार कविता में स्पष्ट झलक रहे हैं...
    बढ़िया!!!!

    सस्नेह
    अनु

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  4. बहुत सुंदर क्या बात हैं

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  5. achchha likha hai ...
    shubhkamnayen.

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  6. बहुत ही बेहतरीन....
    मानो या न मानो मुझ को,कागजी राष्ट्रवादी हूँ
    सिद्धांतों की ऐसी तैसी ,लेकिन मार्क्सवादी हूँ
    काम अलग है तो क्या हुआ..
    नाम तो मार्क्सवादी का है न...

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  7. Think Globally, Act Locally यही सच है आज का ..
    बहुत सटीक प्रस्तुति

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  8. विचारों का आईना... बिल्कुल साफ़ छवि दिखाई दे रही है...
    बढ़िया !!!

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  9. बहुत सुन्दर..

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  10. मानो या न मानो मुझ को,कागजी राष्ट्रवादी हूँ
    सिद्धांतों की ऐसी तैसी ,लेकिन मार्क्सवादी हूँ,,,,,

    बहुत बढ़िया सटीक प्रस्तुती,,,,,,

    RECENT POST काव्यान्जलि ...: आदर्शवादी नेता,

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  11. satik vyang hai, aise log bahutayat mein aajkal hain
    achhi rachna likhte rahiye taki hame padhne ko milta rahe.

    shubhkamnayen

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  12. यशवन्त जी वाह बहुत सुंदर

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  13. यशवन्त जी वाह बहुत सुंदर

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  14. only one word for this post -GREAT

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  15. विचारों का सुन्दर आईना..सटीक प्रस्तुति..यशवंत..शुभकामनाएं

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  16. मानो या न मानो मुझ को,कागजी राष्ट्रवादी हूँ। बहुत खूब।

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  17. ह्म्म्म.....बहुत सुन्दर ।

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  18. बहुत बढ़िया।

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  19. क्या बात है यशवंत जी ..... दोगले चेहरे लिए घूम रहे इन नकली प्रगतिवादियों की अच्छी खिंचाई की है आपने.... बहुत खूब.

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  20. behtreen aur prabhaavshali abhivaykti....

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